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Monday, May 3, 2010

हैं बजा कि खूबियों का जिक्र हो दिल खोलकर ।खामियां भी बेहिचक मुंह पर गिनानी चाहिये ।।
जनप्रतिनिधि भी सम्मानित हुये ब्राम्हण समाज के सम्मेलन में -जिला ब्राम्हण समाज द्वारा आयोजित जिला स्तरीय सम्मेलन कुछ कारणों से राजनैतिक क्षेत्रों में कुछ अधिक ही चर्चित हो गया हैं। तीन चरणों में हुये इस सम्मेलन के एक चरण में निर्वाचित वर्तमान और पूर्व जन प्रतिनिधियों का सम्मान भी किया गया। इनमें पूर्व सांसद रामनरेश त्रिपाठी,पूर्व सांसद एवं विधायक नीता पटेरिया,केवलारी के इंका विधायक हरवंश सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चन्देल एवं नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी शामिल हैं। यह भी महज एक संयोग है या कुछ और कि पूर्व सांसद रामनरेश त्रिपाठी ने कु. विमला वर्मा को, नीता पटेरिया ने कु. कल्याणी पांड़ें को और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने संजय भारद्वाज को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हरा कर जीत हासिल की थी। यह भी एक संयोग ही है कि हारने वाले ये तीनों इंका नेता जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज के अनन्य भक्त हैें। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि इन तीनों इंका नेताओं हारने के बाद राजनैतिक हल्कों में यह भी चर्चा रही हैं कि इनकी हार में हरवंश सिंह की भूमिका भी रही हैं। जिला ब्राम्हण समाज के कार्यक्रम में सम्मानित किये जाने वाले सभी जनप्रतिनिधियों की तारीफ में भी काफी कुछ कहा गया। समाज के ही एक हिस्से में इस बात को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी देखी गई कि हर बार इंका विधायक हरवंश सिंह को ही क्यों बुला लिया जाता हैं। कुछ लोग तो यह चर्चा करते भी देखे गये कि भगवान परशुरुराम ने तो मानव मात्र को आतंक आतंक,अत्याचार,दुष्टता और अन्याय से मुक्त कराने के लिये समाज के आतताइयों, अत्याचारियों और दुष्टों का 21 बार नर संहार किया था। हम उनके अनुयायी हैं तो फिर हमारे आचरण में भी उसकी झलक तो दिखनी ही चाहिये। सामाजिक कार्यक्रम में बार बार गैर समाज के जनप्रतिनिधि को बुलाकर उसे महिमा मंड़ित करना भी लोगों में चर्चा का विषय बना रहा। कुछ लोगों का यह भी कहना था कि तारीफ करना तो ठीक हैं लेकिन यदि कुछ बुरायी हो तो समाज के मार्गदर्शक होने के नाते हमारा यह भी तो कत्तZव्य होता हैं कि हम उन्हें भी गिनायें और समाज को आगाह करें जैसा कि एक शायर सागर त्रिपाठी ने कहा हैं कि हैं बजा कि खूबियों का, जिक्र हो दिल खोलकरखामियां भी बेहिचक मुंह पर गिनानी चाहिये
योजना समिति के चुनाव में हुआ विवाद-
जिला योजना समिति के चुनाव भी इस दौरान संपन्न हुये हैं। इसमें जिला पंचायत से 14 और सिवनी नपा से एक प्रतिनिधि चुना गया है। लखनादौन नपं का चुनाव ना होने के कारण बरघाट और लख्नादौन नपं से चुना जाना सदस्य नहीं चुना जा सका। पहले ये चुनाव 21 अप्रेल का होने थे जिसकी बाकायदा सूचना भी जारी कर दी गई थी। लेकिन अचानक ही इन चुनावों को आगे बढ़ा दिया गया और फिर ये चुनाव 27 अप्रेल को कराये गये। चुनाव की निष्पक्षता पर इसी से सवालिया निशान लग गया था। राजनैतिक क्षेत्रों यह चर्चा भी रही कि स्थानीय भाजपा नेताओं के दवाब में ये चुनाव बढ़ाये गये क्योंकि 21 अप्रेल को भाजपा की महंगायी के विरोध में दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की रैली आयोजित थी। इंका के नपा के उपाध्यक्ष सहित पार्षदों ने विरोध भी किया था जिसे दरकिनार कर दिया गया। जिला पंचायत के 14 में से 11 सदस्य कांग्रेस के एवं तीन सदस्य भाजपा के चुने गये हैं। नपा सिवनी में भाजपा को सफलता मिली और उसके उम्मीदवार संजय खंड़ाइत चुनाव जीत गये। उन्होंने कांग्रेस की नारायणी सक्सेना को 12 के मुकाबले 13 मतों से पराजित किया। यहां यह उल्लेखनीय हें कि भाजपा के पालिका के अध्यक्ष सहित 13 और कांग्रेस के उपाध्यक्ष सहित 12 सदस्य हैं। दोनों ही दल एक दूसरे की टूट फूट पर अपनी रणनीति बनाये हुये थे लेकिन इस चुनाव में दोनों ही पार्टियों ऐसा कुछ नहीं हुआ। लेकिन सिवनी नपा का चुनाव विवादों में रहा। भाजपा के नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एवं पार्षद राजेश साहू ने अपना वोट ना केवल खुले में दिया वरन उसे दिखाते हुये उनकी वीडियो शूटिंग भी पुलिस की रिकार्डिंग में कैद हो गई थी। इस पर कांग्रेसियों ने विरोध कियौ इंकाइयों की मांग थी कि इससे मतदान की गोपनीयता भंग हुयी हैं और ये दोनों वोट निरस्त करना चाहिये। मौके पर ही इंका नेताओं ने इसकी सूचना फोन पर जिला कलेक्टर को दी लेकिन इसे निर्वाचन अधिकारी ने गम्भीरता से नहीं लिया और उन वोटों को निरस्त नहीं किया। इससे चुनाव परिणाम जो भी आया हो लेकिन इससे एक सवाल तो पफदा हो ही जाता हें कि क्या भाजपा को अपने ही नपा अध्यक्ष पर क्या विश्वास नहीं था जो उन्हें इस तरह दिखाकर वोट देना पड़ा। वैसे भाजपा ने इस चुनाव की जीत का श्रेय नव निर्वाचित जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन और नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी की रणनीति को दिया गया हैं। एक दृष्टि से यह सही भी हैं क्योंकि आज कल अपनी ही पार्टी के सभी सदस्यों से अपनी ही पार्टी को वोट डलवा पाना भी कठिन काम हो गया हैं।
गेहूं खरीदी में अनियमितता बनाम नेतागिरी-
गेहूंं,बारदाना,परिवहन,मंड़ी,किसानों के शोषण ने सभी को बुरी तरह हलाकान कर दिया हैें। प्रशासन हो या नेता सभी को सिर्फ यही दिखायी दे रहा हैं। समर्थन मूल्य पर गेहू खरीदी को लेकर बवाल शुरू से ही चल रहा हैं। खरीदी केन्द्रों पर किसानों के बजाय अधिकतर कुचिया व्यापारी ही माल ला रहें हैं। जो कुछ भी असुविधा और परेशानी हो रही हैं वह उन्हें तो हो रही हैं। वे भी कुछ चालाकियां करने से बाज नहीं आ रहें हैं। जिसके हाथ में जो भी जवाबदारी हैं वो उसी में से ज्यादा से ज्यादा गोलमाल करने का प्रयास कर रहें हैं। कहीं नये बारदाने के बदले पुराने बारदाने मिलने की बात की जा रही हैं तो कहीें तौल में हेरा फेरी की बात की जा रही हैं तो कहीं माल ढ़लाने के लिये पैसे लगने की बात की जा रही है तो कहीं अपना तुलाने के लिये भी पैसे देने की बात की जा रही हैं तो कहीं भुगतान जल्दी मिल जाये इसके लिये चढ़ोत्री चढ़ाने की बात की जा रही हैं। जब सब जगह पैसा लग रह हैं तो फिर इसे रोकने वाला अमला आखिर क्या कर रहा हैं। रहा सवाल नेताओं का तो वे अपने साथ ही कैमरा, वीडियो कैमरा और पत्रकारों को साथ ले जा रहे हैं। खरीदी केन्द्र में ये नेता अपनी फोटो खिंचवाते हैं, वीडियो कैमरे में अपना इंटरव्यू देते हैं और उपस्थित सरकारी अमले को निर्देश देते हैं। अखबारों में समाचार छप जाते हैं तो फिर ये नेता यह भी नहीं देखते कि उनके निर्देशों का कितना पालन और व्यवस्था में कुछ सुधार भी आया कि नहींर्षोर्षो

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