www.hamarivani.com

Sunday, May 16, 2010

सांसद निधि के बीस लाख रुपये की बरबादी का जवाबदार कौन
क्या तकनीकी स्वीकृति देने वाले अधिकारी को जिला प्रशासन दंड़ित करेगा
सिवनी। शहर के मुख्य बाजार बुधवारी के मार्ग के सौन्दयीZकरण करने के लिये सांसद निधि से 20 लाख रुपये खर्च करके डिवायडर और लोहे की मजबूत जालियां लगायीं गईं थीं। डिवायडर में बिजली के खंबों पर सुन्दर लाइटिंग की गई थी और फुटपाथ भी बनाया गया था। लेकिन अतिक्रमण के कारण यातायात की समस्या समस्या जस की तस रही और फिर व्यापारियों की मांग पर तत्कालीन विधायक की पहल पर लोहे की जालियां हटा ली गई। अब खंबों को भी हटाने की मांग की जा रही हैं। क्या यह कार्य तकनीकी रूप से सही नहीं थार्षोर्षोयदि हां तो इसे तकनीकी स्वीकृति देने वाले अधिकारी क्या दोषी नहीं हैंंर्षोर्षो क्या यह जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं हैंर्षोर्षो इन सवालों का जवाब तलाश करना आवयक हैं।
सिवनी के तत्कालीन सांसद रामनरेश त्रिपाठी ने बुधवारी बाजार के महेश मालू के घर के सामने से लेकर रामस्वरूप फतेहचन्द की किराना दुकान तक के मार्ग के सौन्दयीZकरण के लिये सांसद निधि से 19 लाख 61 हजार रूपये की राशि स्वीकृत की थी। 12 जून 2003 को इसका लोकार्पण किया गया था जिसका पत्थर आज भी नायक क्लाथ स्टोर्स के पास लगा हैं। इस राशि से यातायात को सुगम बनाने के लिये डिवायडर बनाये गये थे। इनमें लोहे की सुन्दर और मजबूत जालियां लगायी गईं थी। टाइल्स के फुटपाथ भी बनाये गये थे। सड़क के बीचों बीच खंबों पर खूबसूरत लाइट भी लगायीं गईं थीं। लोकार्पण समारोह में बड़े शहरों सी सुविधा उपलब्ध हो जाने का दावा भी किया गया था।
लेकिन कुछ ही दिनों बाद जालियों के दोनों ओर हाथ िढलियों के लगने और दुकानदारों के अतिक्रमण के कारण यातायात की समस्या और बढ़ने लगी। अतिक्रमण हटाने की दृढ़ इच्छा शक्ति ना हाने के कारण हमेशा यह अभियान आधा अधूरा ही रह जाता हैं। धीरे धीरे व्यापारियों के द्वारा बीच में लगी लोहे की जालियां हटाने की मांग की जाने लगी। तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर की पहल पर पालिका ने ये लोहे की जालियां हटवा दीं। ये जालियां कहां लगी या इनका क्या उपयोग किया गयार्षोर्षो इसका कोई पता नहीें हैंं। अब सड़क के बीच में लगे खंबों को भी हटाने की मांग उठने लगी हैं। कुल मिला कर सांसद निधि से खर्च किये गये बीस लाख रुपये बरबाद हो गये ही कहे जा सकते हैं।
इस मामले को देख कर यह सवाल उठना स्वभाविेक ही हैं कि यदि यह तकनीकी रूप से सही नहीं था तो इसकी तकनीकी स्वीकृति क्यों दी गईर्षोर्षो और यदि सही था तो फिर बीच की लोहे की जालियां क्यों हटायी गईर्षोर्षो क्या नेताओं की मनमर्जी के आधार पर यह सब किया जाता हैं। आखिर जनता के पैसे की इस बरबादी का जवाबदार कौन हैंर्षोर्षो क्या उसे जिले का प्रशासनिक अमला दंड़ित करेगार्षोर्षोये ज्वलन्त प्रश्न अभी तो अनुत्तरित ही हैं।

No comments:

Post a Comment