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Wednesday, May 5, 2010

गेहूं खरीदी में मचा चहुं ओर हाहाकार
प्रशासन और जनप्रतिनिधि चितिन्त:पुर्वानुमान हुआ फेल या समय पर नहीं हो पाया इन्तजाम या पड़ोसी प्रदेशों से आ रहा हैं गेहूंर्षोर्षोक्या जिम्मेदारों को दंड़ित करेगी सरकारर्षोर्षो
सिवनी। गेहूं खरीदी में बदइन्तजामी और भ्रष्टाचार के किस्से पूरे जिले में चर्चित हैं। ऐसा होने के क्या कारण हैंर्षोर्षो क्या जिले में लगाये गये पूर्वानुमान से अधिक गेहूं खरीदी के लिये आ रहा हैंर्षोर्षो या पूर्वानुमान के लिये किये जाने वाले इन्तजाम भी समय पर नहीं हुयेर्षोर्षो या फिर ऐसा होना नियति बन गई हैर्षोर्षो या फिर बोनस के कारण पड़ोसी प्रदेशों का गेहूं व्यापारियों के माध्यम से खरीदी केन्द्रों पर आ रहा हैंर्षोर्षो गेहूं खरीदी में किसानो को हो रही तकलीफों से अखबार भरे पड़े हैं। जिले तमाम जनप्रतिनिधि भी इसके लिये चिन्तित हैं। पूरा प्रशासनिक अमला भी इी में उलझा हुआ है। लेकिन अभी तक कोई निदान नहीं हो पाया हैं। रोज नये नये निर्देश दिये जा रहें हैं लेकिन उनका लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा हैं। सामान्य तौर पर ऐसा होता हें कि जिले का कृषि विभाग इस बात का पूर्वानुमान लगाता हें कि जिले में इस साल गेहूं की कितनी फसल होगी और किसान अपना माल बेचने के लिये खरीदी केन्द्रों पर लायेंगें। इसी अनुमान को आधार बना कर प्रशासन बारदाने, भंड़ारन परिवहन और पैसे की व्यवस्था करता हैं। इस साल पानी ऐसा गिरा था कि आम आदमी भी यह मान रहा था कि गेहूं की फसल अधिक होगी। इसकी मुख्य वजह यह थी कि असिंचित गेहूं को भी अर्ध सिचिन्त याने तीन पानी बरसात के ही मिल गये थे। इसलिये इस बात को देखना चाहिये कि क्या खरीदी केन्द्रों में पूर्व में लगाये गये अनुमान से ज्यादा गेहूं बाजार में आ गया हैं और यह अनुमान फेल हो गया है। यदि ऐसा हैं तो गलत पूर्वानुमान लगाने वाले अमले से इसका कारण पूछना चाहिये और यदि इसमें लापरवाही की गई हैं तो उन्हें दंड़ित करना चाहिये ताकि भविष्य में ऐसा फिर ना हो। यदि पूर्वानुमान के अनुसार ही गेहूं बाजार में आ रहा हैं और उसके बाद भी यह बदइन्तजामी हुयी हैं तारे इसका साफ आशय यह हैं कि इस खरीदी में जो आवश्यक इन्तजाम जिन्हें करना था वो समय पर इसे नहीं कर पाये। यदि ऐसा हैं तो फिर इसके लिये जिम्मेदार ऐजेंसियो को दंड़ित करना होगा। क्या सरकार या प्रशासन ऐसा करेगार्षोर्षो यह तो अभी भविष्य की गर्त में छिपा हैं। इसका तीसरा पहलू यह भी हैं कि यदि पूर्वानुमान भी सही हैं और उनके अनुसार समय पर सभी आवश्यक इन्तजाम भी कर लिये गये हें तो फिर इस बदइन्तजामी का कारण सिर्फ यही हो सकता हैं कि सौ रुपये बोनस के चक्कर में पड़ोसी राज्यों का गेहूं व्यापारियों के जरिये खरीदी केन्द्रों में आ रहा हैं जिससे आवक बढ़ गई और जिले के किसानों या कुचबुन्दिया व्यापारियों को तकलीफ हो रही हैं। यदि ऐसा हो रहा हैं तो इसके लिये जिम्मेदार अमले को दंड़ित किया जाना चाहिये। इसमें सत्यता क्या हैंर्षोर्षो इसका पता बारीकी से प्रशासन को लगाना चाहिये और उसका निदान करना चाहिये अन्यथा जिले में हर साल ऐसा होना एक परंपरा बन जायेगी और किसानों को हर साल ऐसी तकलीफें उठानी पड़ेगीं।

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