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Sunday, May 9, 2010

शिवराज द्वारा महेश्वर बांध को प्राथमिकता देकर फोर लेन को दर किनार करना बिना कुछ कहे अपने आप ही बहुत कुछ कह जाता है
फिर गर्माने लगा हैं जिले में फोर लेन कॉरीडोर का मामला -

जिलें में इन दिनों एक बार फिर फोर लेन के चर्चे चल पड़े हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित हैं लेकिन उस पर राजनीति एक बार फिर गर्माने लगी हैं।सबसे पहले भाजपा नेता एवं नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने दिल्ली में कमलनाथ से भेंट कर शहर के अन्दर से जा रही एन.एच. को माडल रोड बनाने की मांग की। इसी मुलाकात के दौरान हुयी चर्चा में नाथ ने सिवनी के फोर लेन के मामले में अपना कोई हाथ होने से इंकार किया। यह समाचार प्राय: सभी अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित हुआ। राजेश की इस मुलाकात के बाद दो तीन दिन के अन्दर ही अखबारों में जिले के इकलौते इंका विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह का बयान छपा कि जिले के सभी बायपासो के बीच के वर्तमान मार्गों का भी निर्माण किया जाये और सिवनी के फोर लेन मामले में आ रही अड़चनों को दूर किया जाये। इन बयानों पर चर्चा चल ही रही थी कि जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन का बयान आ गया कि मुख्यमन्त्री की पहल पर फोर लेन मामले की अड़चनें जल्दी ही खत्म हो जायेंगीं। उन्होंने प्रधानमन्त्री से भेंट कर इस सम्बंध में जानकारी दी हैं और पर्यावरण विभाग की मंजूरी दिलाने का मसला उठाया हैं। इसके साथ ही मुख्यमन्त्री जी ने महेश्वर बांध का मामला भी उठाया था। इन सभी बयानबाजियों पर सोने में सुहागे का काम कर गया भू तल परिवहन मन्त्री कमलनाथ का तेन्दूखेड़ा में दिया गया भाषण कि फोर लेन नरसिंहपुर से छिन्दवाड़ा होते हुये नागपुर जायेगी। जैसे ही अखबारों में यह छपा जिले में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुयी। जनमंच ने भी एक बार फिर चेतावनी दी हैं कि यदि जिले की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता हें तो हम चुप नहीं रहेंगें। इन बयान बाजियों पर यदि गौर करें तो इनमें बहुत से दांव पेंच समझ में आते हैं। यदि नाथ ने भाजपा नेता राजेश त्रिवेदी को यह स्पष्ट कर दिया कि उनका कोई हाथ नहीं हें और यह अखबारों की सुर्खियां बन चुका था तो भला हरवंश सिंह को कमलनाथ से मिलकर फोर लेन की गेन्द भला एक बार फिर उनके पालें में डालने की क्या जरूरत थीर्षोर्षो जिला भाजपा के लोग इस बात को सोच रहें हैं कि भला राजेश त्रिवेदी को कमलनाथ से हुयी भेंट का सारा विवरण प्रेस को क्यों देना थार्षोर्षो मुख्यमन्त्री प्रधानमन्त्री से मिले और दूसरे ही दिन सचिव स्तर की चर्चा में महेश्वर बांध को पर्यावरण विभाग की स्वीकृति देने पर सहमति बन गई लेकिन उसमें फोर लेन का जिक्र भी नहीं दिखा इसके बाद भी जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के बयान पर हरवंश समर्थक जिला इंका ने कोई प्रतिक्रिया क्यों व्यक्त नहीं कीर्षोर्षो सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बाद भी कमलनाथ ने तेन्दूखेड़ा में फोर लेन का फैसला क्यों सुना दियार्षोर्षो इसकी श्ुारुआत में यदि जाकर देखा जाये तो मामला जब कोर्ट में लगा था औरसी.ई.सी.,पर्यावरण मन्त्रालय,एमायकस क्यूरी सहित सभी इस पक्ष में थे कि रात सात बजे के बाद ये रोड़,सिवनी नागपुर,बन्द कर दी जाये।उस समय भू तल परिवहन मन्त्रालय ने सी.ई.सी. को अपने जवाब जो विकल्प दिये थे उनमे पहले विकल्प फ्लायी ओवर सहित सभी शामिल थे और तो और मन्त्रालय पर्यावरण विभाग की अनुमति पाने के लिये टनल तक बनाने को सहमत था। पर कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था। लेकिन जनमंच के आन्दोलन और सुप्रीम कोर्ट में इंटरवीनर बनने के बाद स्थिति में बदलाव आया और पिछले दौर में यह स्थिति बन गई कि भू तल परिवहन विभाग और एमायकस क्यूरी वर्तमान सड़क को तीस मीटर चौड़ी करने पर सहमत थे तो सी.ई.सी. और पर्यवरण विभाग फ्लायी ओवर पर सहमत था। यह बात पूरी तरह से साफ हो गई थी कि इस रोड़ को बन्द करने की बात कहीं बची ही नहीं थी। कोर्ट लगभग सभी पक्षों को सुन चुका हैं और मामला अन्तिम चरण में हैं। ऐसे वातावरण में भू तल परिवहन मन्त्री कमलनाथ का नरसिंहपुर छिन्दवाड़ा होकर फोर लेन जाने सम्बंधी बयान आना और मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह द्वारा महेश्वर बांध को प्राथमिकता देकर सिवनी फोर लेन के मामले का दर किनार कर देना बिना कुछ कहे अपने आप ही बहुत कुछ कह जाता हैैं। सिवनी जिले के लोगों को अपने हक के लिये एक बार फिर सड़क पर उतरना पडे़गा क्योंकि हमारे अपने धनी धोरी इतने अधिक मैेंं में सिमट कर रहें गये हैं कि मेरी बुरायी भर ना हो भले ही जिले को इसकी कुछ भी कीमत ही क्यों ना चुकाना पड़ेर्षोर्षो
ढ़ालसिंह के राष्ट्रीय परिषद में चुने जाने से भाजपा में हलचल -
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में सांसद प्रभात झा चुन लिये गये। इसके साथ ही प्रदेश से राष्ट्रीय परिषद के लिये 29 सदस्यों का भी निZविरोध चुनाव हो गया। जिले के कई भाजपायी धुरंधर यह मान रहे थे कि चुनाव हारने के बाद डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन राजनैतिक हाशिये पर चले गये हैं। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के दौरान उन्हें जिस तरह बुला कर पहले प्रस्तावक बनवाया गया तथा फिर उन्हें राष्ट्रीय परिषद में लिया गया उससे ऐंसा कयास लगाने वाले तमाम लोग भौंचक रह गये हैें। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि डॉ. बिसेन को बालाघाट संसदीय क्षेत्र से राष्ट्रीय परिषद के लिये चुना गया हैं जहां से पंवार समाज के ही कद्दावर नेता सहकारिता मन्त्री गौरीशंकर बिसेन भी आते हैं। इसके अलावा सिवनी एवं बालाघाट के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मन्त्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से चुना गया हैं। जिनके भाजपा प्रवेश का भी गौरी शंकर बिसेन ने भारी विरोध किया था। इसके अलावा मंड़ला के पूर्व सांसद फगग्न सिंह कुलस्तें को भी उनकी संसदीय सीट मंड़ला से चुना गया हैं। महाकौशल क्षेत्र के इन तीनों नेताओं को राष्ट्रीय परिषद में चुने जाने का जिले की भाजपायी राजनीति में असर पड़ने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। भाजपा के तीनो ही नेताओं का जिले में अपना अपना प्रभाव हैं। प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने के बाद ही इसका खुलासा हो पायेगा कि भाजपा में अब नये सिरे से कैसा और क्या ध्रुवीकरण होता हैे।
और अन्त में-
इंका विधायक हरवंश सिंह का ताजा बयान छपा जिसमें उन्होंने कमलनाथ के फोर लेन के मामले में हमेशा सकारात्मक रुख रहने की बात कही हैं और कहा है कि मैं फिर उनसे मिलकर मामले को हल करने की बात कहूंगा। यदि हरवंश सिंह वास्तव में इसका हल कराना चाहते हैं तो वे कमलनाथ से फ्लायीओवर बनाने के लिये उनके विभाग की स्वीकृति कोर्ट में दिलवा दें तो मामला ही समाप्त हो जावेगा क्योंकि पर्यावरण विभाग और सी.ई.सी. इसके लिये तैयार हैं। अन्यथा उनकी और कमलनाथ की भेंट तो होती ही रहती हैं।

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