गीतों और गजलों की सत वषाZ का सारी रात आनन्द लिया श्रोताओं ने
सदभाव का आयोजन संपन्न
सिवनी।देश के ख्याति प्राप्त कवियों और शायरों ने गंगा जमुनी तहजीब को सदभाव के मंच पर जीवन्त रखते हुये कि गीतों और गजलों का ऐसा समां बांधां कि सारी रात श्रोता आनन्द लेते रहें। संस्था के प्रचार सचिव अवधेश तिवारी ने प्रेस िाक जारी विज्ञप्ति में बताया हैं कि सदभाव संस्था द्वारा आयोजित किये जाने वाला यह 12 वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा था। कवियोंं और शायरों के स्वागत के बाद कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वन्दना,राष्ट्रगान और नातेपाक से हुयी। जबलपुर की युवा संपदा हिंगने ने अपने कोकिल कंठ से पहले मां सरस्व्ती की वन्दना Þमां तू जिसकी ओर निहारे,उसे गुणियों में सम्मान मिलेÞऔर फिर राष्ट्रवन्दना के रूप में वन्दे मातरम गीत पेश किया। सधे हुये स्वर में प्रस्तुत की गई इस संगीतमय प्रस्तुति का श्रोताओं ने तालियां बजा कर खूब सराहा। सदभाव के मंच से एक अनूठी मिसाल पेश करते हुये श्री सागर त्रिपाठी ने नाते पाक पढ़ा। Þलुुफ्त की बात हैं कि सर अपना,रख के सजदे में भूल जाऊं मेंÞÞरोशनी के अमीन हैं हजरत,रुहे माहे मुकीम हैं हजरत,सिर्फ एक कौम के नहीं हैं वो,रहमते आरमीन हैं हजरतÞ मजहबी उर्दू अन्दाज में सागर त्रिपाठी द्वारा पढ़ी गई नाते पाक ने खूब दाद बटोरी। नाते पाक के बाद मुशायरे को आगे बढ़ाया मुन्नवर आजमी ने। आपने हिन्दू मुस्लिम वैमन्सयता फैलाने वालों पर तुज करते हुये कहा कि Þकौन मुजरिम हैं ये साबित तो करो तुम पहलेइल्जाम लगा देने से क्या होता हैं,दो सजा उनको जों फैलाते हैं दहशत गदीZबेगुनाहों को सजा देने से क्या होता हैर्षोर्षोÞराष्ट्रीय एकता पर गजल पढ़ते हुये कहा किÞ मैं हूंं गांधी नेहरू और आजाद का हिन्दुस्तान,हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई सब हैं मेरी जानÞ भोपाल से पधारी संगीता सरल ने अपने मोहक अन्दाज में कहा किÞ चेहरे के आपका भोलापन भा गया, इसलिये आप पर मेरा दिल आ गयाÞ कि तुम मुझे प्यार से देखा ना करो, तीर नज़रों के यूं फेंका ना करो,वरना ये लोग ना जीने देंगें और मेरा प्यार ना मरने देगा।Þ गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुये लखनऊ से आये कैफ काकोरबी ने राजनीति में धर्म को घसटीने पर चिन्ता प्रगट करते हुये कहा किÞ मजहब को सियासत में घसीटा गया जबसे, जलता हुआ मैं अपना वतन देख रहा हंूंÞÞ इस जुल्म के माहौल से हम डर नहीं सकते,जब तक ना खुदा चाहे कभी मर नहीं सकते।Þ गजल के नाजुक अन्दाज को पेश करते हुये आपने कहा कि Þ खूब सूरत जिस्म लेकर तू समुन्दर में ना जा। आग पानी में लगेगी मछलियां जल जायेंगी।Þ गजलों के दौर के अगले मुकाम पर बलरामपुर से पधारीं मोहतरमा रुखसार बलरामपुरी ने कहा कि Þ तहजीबे वतन तुझको बिखरने नहीं दूंगीं,मैं सर से दुपट्टे को उतरने नहीं दूंगीं।ÞÞक्या हमारी किस्मत हैं, कैसी ये मोहब्बत हैं,तन्हो वो भी मिलते हैं तन्हां हम भी मिलते हैं।Þ धीर गम्भीर माहौल को हास्य व्यंग की ओर ले जाते हुये मालेगांव से पधार मुजावर मालेगांवी ने कहा कि Þईमानदार और ना हकदार जायेंगें,संसद भवन में सिर्फ तड़ीपार जायेंगें।मेयार क्यों ना हो भला तालीम का खराब,टीचर के भेष मे जो चिड़ीमार जायेंगें।ÞÞजिन्दगी जो करे मसरूर कहां से लाऊंर्षोर्षोचान्द जैसा रुखे पुरनूर कहां से लाऊंर्षोर्षोक्यों मेरी बात समझता नहीं बेटे अब तू लंगूर तुम्हें हूर कहां से लाऊंर्षोर्षो कवि सम्मेलन को हास्य व्यंग के दौर सें एक बार फिर संजीदगी की ओर ले जाते हुये झांसी से आये अर्जुन सिंह चान्द ने कहा कि Þखत किताबों में अब कोई रखता नहीं।नाम कोई रुमालों में रखता नहीं। है मोहब्बत भी अब मोहताज मोबाइल की,चित्र कोई गिलाफों में रखता नहीं।ÞÞफूल पत्थर पे लोग चढ़ाते रहे। दायरा अपने सुख का बढ़ाते रहे। घर में मां बाप बूढ़े हैं बीमार हैं। खून के आंसू उनको रुलाते रहे।।ÞÞ लश्कर भी तुम्हारा हैं,सरदार भी तुम्हारा है।और तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा हैं।Þ जिले के उस्ताद शायर मरहूम जनाब अब्दुल रब सदा के गजल संग्रह वक्त को आइना चाहिये का विमोचन भी मंच से हुआ। आपके साहबजादे जनाब मिनाज कुरैशी ने मंच से अपने अशार पढ़ते हुये फरमाया किÞपिछली रुतों के सारे वो मंजर बदल गये।अबकी तो मौसमों के ही तेवर बदल गये।.2. तर्जे सितम ना बदली जमाने के साथ साथ। इतना जरूर हुआ कि सितमगर बदल गये।Þसदभाव, सिवनी।प्रेस विज्ञप्तिसिवनी।देश के ख्याति प्राप्त कवियों और शायरों ने गंगा जमुनी तहजीब को सदभाव के मंच पर जीवन्त रखते हुये कि गीतों और गजलों का ऐसा समां बांधां कि सारी रात श्रोता आनन्द लेते रहें। संस्था के प्रचार सचिव अवधेश तिवारी ने प्रेस िाक जारी विज्ञप्ति में बताया हैं कि सदभाव संस्था द्वारा आयोजित किये जाने वाला यह 12 वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा था। कवियोंं और शायरों के स्वागत के बाद कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वन्दना,राष्ट्रगान और नातेपाक से हुयी। जबलपुर की युवा संपदा हिंगने ने अपने कोकिल कंठ से पहले मां सरस्व्ती की वन्दना Þमां तू जिसकी ओर निहारे,उसे गुणियों में सम्मान मिलेÞऔर फिर राष्ट्रवन्दना के रूप में वन्दे मातरम गीत पेश किया। सधे हुये स्वर में प्रस्तुत की गई इस संगीतमय प्रस्तुति का श्रोताओं ने तालियां बजा कर खूब सराहा। सदभाव के मंच से एक अनूठी मिसाल पेश करते हुये श्री सागर त्रिपाठी ने नाते पाक पढ़ा। Þलुुफ्त की बात हैं कि सर अपना,रख के सजदे में भूल जाऊं मेंÞÞरोशनी के अमीन हैं हजरत,रुहे माहे मुकीम हैं हजरत,सिर्फ एक कौम के नहीं हैं वो,रहमते आरमीन हैं हजरतÞ मजहबी उर्दू अन्दाज में सागर त्रिपाठी द्वारा पढ़ी गई नाते पाक ने खूब दाद बटोरी। नाते पाक के बाद मुशायरे को आगे बढ़ाया मुन्नवर आजमी ने। आपने हिन्दू मुस्लिम वैमन्सयता फैलाने वालों पर तुज करते हुये कहा कि Þकौन मुजरिम हैं ये साबित तो करो तुम पहलेइल्जाम लगा देने से क्या होता हैं,दो सजा उनको जों फैलाते हैं दहशत गदीZबेगुनाहों को सजा देने से क्या होता हैर्षोर्षोÞराष्ट्रीय एकता पर गजल पढ़ते हुये कहा किÞ मैं हूंं गांधी नेहरू और आजाद का हिन्दुस्तान,हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई सब हैं मेरी जानÞ भोपाल से पधारी संगीता सरल ने अपने मोहक अन्दाज में कहा किÞ चेहरे के आपका भोलापन भा गया, इसलिये आप पर मेरा दिल आ गयाÞ कि तुम मुझे प्यार से देखा ना करो, तीर नज़रों के यूं फेंका ना करो,वरना ये लोग ना जीने देंगें और मेरा प्यार ना मरने देगा।Þ गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुये लखनऊ से आये कैफ काकोरबी ने राजनीति में धर्म को घसटीने पर चिन्ता प्रगट करते हुये कहा किÞ मजहब को सियासत में घसीटा गया जबसे, जलता हुआ मैं अपना वतन देख रहा हंूंÞÞ इस जुल्म के माहौल से हम डर नहीं सकते,जब तक ना खुदा चाहे कभी मर नहीं सकते।Þ गजल के नाजुक अन्दाज को पेश करते हुये आपने कहा कि Þ खूब सूरत जिस्म लेकर तू समुन्दर में ना जा। आग पानी में लगेगी मछलियां जल जायेंगी।Þ गजलों के दौर के अगले मुकाम पर बलरामपुर से पधारीं मोहतरमा रुखसार बलरामपुरी ने कहा कि Þ तहजीबे वतन तुझको बिखरने नहीं दूंगीं,मैं सर से दुपट्टे को उतरने नहीं दूंगीं।ÞÞक्या हमारी किस्मत हैं, कैसी ये मोहब्बत हैं,तन्हो वो भी मिलते हैं तन्हां हम भी मिलते हैं।Þ धीर गम्भीर माहौल को हास्य व्यंग की ओर ले जाते हुये मालेगांव से पधार मुजावर मालेगांवी ने कहा कि Þईमानदार और ना हकदार जायेंगें,संसद भवन में सिर्फ तड़ीपार जायेंगें।मेयार क्यों ना हो भला तालीम का खराब,टीचर के भेष मे जो चिड़ीमार जायेंगें।ÞÞजिन्दगी जो करे मसरूर कहां से लाऊंर्षोर्षोचान्द जैसा रुखे पुरनूर कहां से लाऊंर्षोर्षोक्यों मेरी बात समझता नहीं बेटे अब तू लंगूर तुम्हें हूर कहां से लाऊंर्षोर्षो कवि सम्मेलन को हास्य व्यंग के दौर सें एक बार फिर संजीदगी की ओर ले जाते हुये झांसी से आये अर्जुन सिंह चान्द ने कहा कि Þखत किताबों में अब कोई रखता नहीं।नाम कोई रुमालों में रखता नहीं। है मोहब्बत भी अब मोहताज मोबाइल की,चित्र कोई गिलाफों में रखता नहीं।ÞÞफूल पत्थर पे लोग चढ़ाते रहे। दायरा अपने सुख का बढ़ाते रहे। घर में मां बाप बूढ़े हैं बीमार हैं। खून के आंसू उनको रुलाते रहे।।ÞÞ लश्कर भी तुम्हारा हैं,सरदार भी तुम्हारा है।और तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा हैं।Þ जिले के उस्ताद शायर मरहूम जनाब अब्दुल रब सदा के गजल संग्रह वक्त को आइना चाहिये का विमोचन भी मंच से हुआ। आपके साहबजादे जनाब मिनाज कुरैशी ने मंच से अपने अशार पढ़ते हुये फरमाया किÞपिछली रुतों के सारे वो मंजर बदल गये।अबकी तो मौसमों के ही तेवर बदल गये।.2. तर्जे सितम ना बदली जमाने के साथ साथ। इतना जरूर हुआ कि सितमगर बदल गये।Þ कानपुर से पधारी मोहतरमा परवीन नूरी ने अपनी मधुर आवाज में गजले और गीत पढ़कर श्रोताओं से खूब वाह वाही बटोरी। आपने कहा कि Þ जिस दिन से तुम हमारे ख्यालों में आ गये।हम तीरगी से चलके उजालों में आ गये।खुद को बहुत सम्भाल के सक्खा था आज तक। लेकिन तुम्हारे चाहने वालों में आ गये।ÞÞआपका खत छिपा लिया मैंने,यूं मुक्द्दर जगा लिया मेंने।तेरे सीने में दिल कहां से हो,तेरा दिल तो चुरा लिया मेंने।Þ सदभाव के मंच से लाफ्टर चेंलेंज तक का सफर तय करके जिले का नाम पूरी दुनिया में रोश करने वाले एहसान कुरैशी ने सानिया मिर्जा की शादी पर चुटकी लेते हुये कहा किÞ सानिया जी सानिया जी गजब ढा रही हो। टेनिस का बेड क्रिकेट के बेड से टकरा रही हो।क्या देश के जवानों को लकवा लग गया हैंं जो पाकिस्तानी शोएब से शादी रचा रही हो।अगर सानिया जी आप ये मानती हो कि क्रिकेट खिलाड़ी में दम हें। तो अपना यूसुफ पठान कौन सा कम हैर्षोर्षोअगर तुम ये मानती हो कि शादी शुदा आदमी एकदम से खरा हैं। तो फिर भला एहसान कुरैशी क्या बुरा हैर्षोर्षोÞ देश के मशहूर शायर जनाब नज़र बिजनोरी ने अपनी गजलों से ऐसा समां बांधा कि श्रोता वाह वाह करते ही रह गये। आपने कलाम पढ़ते हुये कहा किÞक्या बताऊं तुम्हें कि मेरा या कैसा हैंर्षोर्षोचान्द सा नहीं हें वो चान्द उसके जैसा हैं।Þ अपनी दिलकश गजल में उन्होंने कहा किÞ मेरे दिल की ये सदा है, ये पयाम आखिरी हैं। मेरी जां कुबूल कर ले, ये सलाम आखिरी हैं। तेरी राह तकते तकते, मेरा दम निकल ना जायें। दमें आखिरी है लब पे, तेरा नाम आखिरी हैं। मैं हूं दो घड़ी को मेहमां, तू मुझे गले लगा है। तेरी अंजुमन में मेरा, ये पयाम आखिरी हैं।Þ जिले की माटी में पली बढ़ी शायरा रचना एहसान, जिनके गजल संग्रह ßतेरी याद मेंÞ का आज विमोचन भी हुआ था, ने मंच पर अपने कलाम पढ़कर समां बांध दिया। आपने कहा किÞहाथों से मेरे उनके जो टकरायीं उगलियां। शरमा के खुद ब खुद ही सिमट आयीं उगलियां।अल्फाज सब गले में अटक कर ही रह गये,रुख्सत के वक्त सिर्फ नज़र आयीं उगलियां।Þ दिल्ली से आये लोकप्रिय गीतकार यशपाल यश ने राष्ट्र भक्ति से ओत प्रेत और सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाली सशक्त रचनाओं का पाढ़ कर माहौल बना दिया। आपने कहा किÞसबको राम राम और सलाम बोलता हूं मैं। उसके बाद राज की किताब खोलता हू मैंं। जितना बोलता हूं उतना सच बोलता हूं मैं। बोलने से पहले शब्द शब्द तोलता हूं मैं।Þ दिल्ली दहला रही हैं, काश्मीर चीखता हैं। मुझको मेरा वापस ,शवाब कर दीजिये। सहमे सहमे रहते हैं झील और शिकारे में। वादी कहे मुझको गुलाम कर दीजिये।Þ अगली कवियत्री के रूप में रायबरेली से आयीं सुश्री प्रज्ञा विकास ने अपने अनूठे अन्दाज मे काव्य पाढ़ कर मंच लूट लिया। आपने कहा किÞमहल नहीं हैं, खंड़हर हैं, मगर हमारा है। इसे छोड़ दें कैसे ये घर हमार है।। यहां के लोग दुआओं में मौत चाहते हैं। जो जी रहें हैं हम, ये हुनर हमारा हैं।जरा सी बात पे आंखें भी मोड़ लीं हमसे। किसी से हमने कहा था शजर हमारा हैं। Þ मुशायरे और कवि सम्मेलन के दौर को अंजाम तक पहुचाते हुये श्री सागर त्रिपाठी के मजहबी उर्दू अन्दाज ने तो भपूर दाद बटोरी। आपने कहा किÞ हसद नफरत का ये मौसम नहीं। मोहब्बत हर तरफ हैं गम नहीं हैं।यहां हर शख्स हैं खुद में मुकम्मल, किसी का कद किसी से कम नहीं हैं।ÞÞ मोहब्बत छोड़िये, तकरार में भी लुफ्त आता हैं। अगर तकरार भी उर्दू जबां में होती हैें।ÞÞ गीता उपजी फर्श से, अर्श से हैं कुरआन। हिन्दू मुस्लिम साथ लें दो जहां का ज्ञान।Þ सुबह पौ फटते तक चले इस मुशायरे और कवि सम्मेलन का श्रोताओं ने खूब आनन्द उठाया। कार्यक्रम में जिले की प्रतिभाओंं को भी सम्मानित किया गया। सदभाव संस्था ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी शायरों,कवियों,श्रोताओं,दानदाताओं और सहयोगियों के प्रति आभार प्रदर्शन किया।
सदभाव का आयोजन संपन्न
सिवनी।देश के ख्याति प्राप्त कवियों और शायरों ने गंगा जमुनी तहजीब को सदभाव के मंच पर जीवन्त रखते हुये कि गीतों और गजलों का ऐसा समां बांधां कि सारी रात श्रोता आनन्द लेते रहें। संस्था के प्रचार सचिव अवधेश तिवारी ने प्रेस िाक जारी विज्ञप्ति में बताया हैं कि सदभाव संस्था द्वारा आयोजित किये जाने वाला यह 12 वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा था। कवियोंं और शायरों के स्वागत के बाद कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वन्दना,राष्ट्रगान और नातेपाक से हुयी। जबलपुर की युवा संपदा हिंगने ने अपने कोकिल कंठ से पहले मां सरस्व्ती की वन्दना Þमां तू जिसकी ओर निहारे,उसे गुणियों में सम्मान मिलेÞऔर फिर राष्ट्रवन्दना के रूप में वन्दे मातरम गीत पेश किया। सधे हुये स्वर में प्रस्तुत की गई इस संगीतमय प्रस्तुति का श्रोताओं ने तालियां बजा कर खूब सराहा। सदभाव के मंच से एक अनूठी मिसाल पेश करते हुये श्री सागर त्रिपाठी ने नाते पाक पढ़ा। Þलुुफ्त की बात हैं कि सर अपना,रख के सजदे में भूल जाऊं मेंÞÞरोशनी के अमीन हैं हजरत,रुहे माहे मुकीम हैं हजरत,सिर्फ एक कौम के नहीं हैं वो,रहमते आरमीन हैं हजरतÞ मजहबी उर्दू अन्दाज में सागर त्रिपाठी द्वारा पढ़ी गई नाते पाक ने खूब दाद बटोरी। नाते पाक के बाद मुशायरे को आगे बढ़ाया मुन्नवर आजमी ने। आपने हिन्दू मुस्लिम वैमन्सयता फैलाने वालों पर तुज करते हुये कहा कि Þकौन मुजरिम हैं ये साबित तो करो तुम पहलेइल्जाम लगा देने से क्या होता हैं,दो सजा उनको जों फैलाते हैं दहशत गदीZबेगुनाहों को सजा देने से क्या होता हैर्षोर्षोÞराष्ट्रीय एकता पर गजल पढ़ते हुये कहा किÞ मैं हूंं गांधी नेहरू और आजाद का हिन्दुस्तान,हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई सब हैं मेरी जानÞ भोपाल से पधारी संगीता सरल ने अपने मोहक अन्दाज में कहा किÞ चेहरे के आपका भोलापन भा गया, इसलिये आप पर मेरा दिल आ गयाÞ कि तुम मुझे प्यार से देखा ना करो, तीर नज़रों के यूं फेंका ना करो,वरना ये लोग ना जीने देंगें और मेरा प्यार ना मरने देगा।Þ गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुये लखनऊ से आये कैफ काकोरबी ने राजनीति में धर्म को घसटीने पर चिन्ता प्रगट करते हुये कहा किÞ मजहब को सियासत में घसीटा गया जबसे, जलता हुआ मैं अपना वतन देख रहा हंूंÞÞ इस जुल्म के माहौल से हम डर नहीं सकते,जब तक ना खुदा चाहे कभी मर नहीं सकते।Þ गजल के नाजुक अन्दाज को पेश करते हुये आपने कहा कि Þ खूब सूरत जिस्म लेकर तू समुन्दर में ना जा। आग पानी में लगेगी मछलियां जल जायेंगी।Þ गजलों के दौर के अगले मुकाम पर बलरामपुर से पधारीं मोहतरमा रुखसार बलरामपुरी ने कहा कि Þ तहजीबे वतन तुझको बिखरने नहीं दूंगीं,मैं सर से दुपट्टे को उतरने नहीं दूंगीं।ÞÞक्या हमारी किस्मत हैं, कैसी ये मोहब्बत हैं,तन्हो वो भी मिलते हैं तन्हां हम भी मिलते हैं।Þ धीर गम्भीर माहौल को हास्य व्यंग की ओर ले जाते हुये मालेगांव से पधार मुजावर मालेगांवी ने कहा कि Þईमानदार और ना हकदार जायेंगें,संसद भवन में सिर्फ तड़ीपार जायेंगें।मेयार क्यों ना हो भला तालीम का खराब,टीचर के भेष मे जो चिड़ीमार जायेंगें।ÞÞजिन्दगी जो करे मसरूर कहां से लाऊंर्षोर्षोचान्द जैसा रुखे पुरनूर कहां से लाऊंर्षोर्षोक्यों मेरी बात समझता नहीं बेटे अब तू लंगूर तुम्हें हूर कहां से लाऊंर्षोर्षो कवि सम्मेलन को हास्य व्यंग के दौर सें एक बार फिर संजीदगी की ओर ले जाते हुये झांसी से आये अर्जुन सिंह चान्द ने कहा कि Þखत किताबों में अब कोई रखता नहीं।नाम कोई रुमालों में रखता नहीं। है मोहब्बत भी अब मोहताज मोबाइल की,चित्र कोई गिलाफों में रखता नहीं।ÞÞफूल पत्थर पे लोग चढ़ाते रहे। दायरा अपने सुख का बढ़ाते रहे। घर में मां बाप बूढ़े हैं बीमार हैं। खून के आंसू उनको रुलाते रहे।।ÞÞ लश्कर भी तुम्हारा हैं,सरदार भी तुम्हारा है।और तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा हैं।Þ जिले के उस्ताद शायर मरहूम जनाब अब्दुल रब सदा के गजल संग्रह वक्त को आइना चाहिये का विमोचन भी मंच से हुआ। आपके साहबजादे जनाब मिनाज कुरैशी ने मंच से अपने अशार पढ़ते हुये फरमाया किÞपिछली रुतों के सारे वो मंजर बदल गये।अबकी तो मौसमों के ही तेवर बदल गये।.2. तर्जे सितम ना बदली जमाने के साथ साथ। इतना जरूर हुआ कि सितमगर बदल गये।Þसदभाव, सिवनी।प्रेस विज्ञप्तिसिवनी।देश के ख्याति प्राप्त कवियों और शायरों ने गंगा जमुनी तहजीब को सदभाव के मंच पर जीवन्त रखते हुये कि गीतों और गजलों का ऐसा समां बांधां कि सारी रात श्रोता आनन्द लेते रहें। संस्था के प्रचार सचिव अवधेश तिवारी ने प्रेस िाक जारी विज्ञप्ति में बताया हैं कि सदभाव संस्था द्वारा आयोजित किये जाने वाला यह 12 वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा था। कवियोंं और शायरों के स्वागत के बाद कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वन्दना,राष्ट्रगान और नातेपाक से हुयी। जबलपुर की युवा संपदा हिंगने ने अपने कोकिल कंठ से पहले मां सरस्व्ती की वन्दना Þमां तू जिसकी ओर निहारे,उसे गुणियों में सम्मान मिलेÞऔर फिर राष्ट्रवन्दना के रूप में वन्दे मातरम गीत पेश किया। सधे हुये स्वर में प्रस्तुत की गई इस संगीतमय प्रस्तुति का श्रोताओं ने तालियां बजा कर खूब सराहा। सदभाव के मंच से एक अनूठी मिसाल पेश करते हुये श्री सागर त्रिपाठी ने नाते पाक पढ़ा। Þलुुफ्त की बात हैं कि सर अपना,रख के सजदे में भूल जाऊं मेंÞÞरोशनी के अमीन हैं हजरत,रुहे माहे मुकीम हैं हजरत,सिर्फ एक कौम के नहीं हैं वो,रहमते आरमीन हैं हजरतÞ मजहबी उर्दू अन्दाज में सागर त्रिपाठी द्वारा पढ़ी गई नाते पाक ने खूब दाद बटोरी। नाते पाक के बाद मुशायरे को आगे बढ़ाया मुन्नवर आजमी ने। आपने हिन्दू मुस्लिम वैमन्सयता फैलाने वालों पर तुज करते हुये कहा कि Þकौन मुजरिम हैं ये साबित तो करो तुम पहलेइल्जाम लगा देने से क्या होता हैं,दो सजा उनको जों फैलाते हैं दहशत गदीZबेगुनाहों को सजा देने से क्या होता हैर्षोर्षोÞराष्ट्रीय एकता पर गजल पढ़ते हुये कहा किÞ मैं हूंं गांधी नेहरू और आजाद का हिन्दुस्तान,हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई सब हैं मेरी जानÞ भोपाल से पधारी संगीता सरल ने अपने मोहक अन्दाज में कहा किÞ चेहरे के आपका भोलापन भा गया, इसलिये आप पर मेरा दिल आ गयाÞ कि तुम मुझे प्यार से देखा ना करो, तीर नज़रों के यूं फेंका ना करो,वरना ये लोग ना जीने देंगें और मेरा प्यार ना मरने देगा।Þ गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुये लखनऊ से आये कैफ काकोरबी ने राजनीति में धर्म को घसटीने पर चिन्ता प्रगट करते हुये कहा किÞ मजहब को सियासत में घसीटा गया जबसे, जलता हुआ मैं अपना वतन देख रहा हंूंÞÞ इस जुल्म के माहौल से हम डर नहीं सकते,जब तक ना खुदा चाहे कभी मर नहीं सकते।Þ गजल के नाजुक अन्दाज को पेश करते हुये आपने कहा कि Þ खूब सूरत जिस्म लेकर तू समुन्दर में ना जा। आग पानी में लगेगी मछलियां जल जायेंगी।Þ गजलों के दौर के अगले मुकाम पर बलरामपुर से पधारीं मोहतरमा रुखसार बलरामपुरी ने कहा कि Þ तहजीबे वतन तुझको बिखरने नहीं दूंगीं,मैं सर से दुपट्टे को उतरने नहीं दूंगीं।ÞÞक्या हमारी किस्मत हैं, कैसी ये मोहब्बत हैं,तन्हो वो भी मिलते हैं तन्हां हम भी मिलते हैं।Þ धीर गम्भीर माहौल को हास्य व्यंग की ओर ले जाते हुये मालेगांव से पधार मुजावर मालेगांवी ने कहा कि Þईमानदार और ना हकदार जायेंगें,संसद भवन में सिर्फ तड़ीपार जायेंगें।मेयार क्यों ना हो भला तालीम का खराब,टीचर के भेष मे जो चिड़ीमार जायेंगें।ÞÞजिन्दगी जो करे मसरूर कहां से लाऊंर्षोर्षोचान्द जैसा रुखे पुरनूर कहां से लाऊंर्षोर्षोक्यों मेरी बात समझता नहीं बेटे अब तू लंगूर तुम्हें हूर कहां से लाऊंर्षोर्षो कवि सम्मेलन को हास्य व्यंग के दौर सें एक बार फिर संजीदगी की ओर ले जाते हुये झांसी से आये अर्जुन सिंह चान्द ने कहा कि Þखत किताबों में अब कोई रखता नहीं।नाम कोई रुमालों में रखता नहीं। है मोहब्बत भी अब मोहताज मोबाइल की,चित्र कोई गिलाफों में रखता नहीं।ÞÞफूल पत्थर पे लोग चढ़ाते रहे। दायरा अपने सुख का बढ़ाते रहे। घर में मां बाप बूढ़े हैं बीमार हैं। खून के आंसू उनको रुलाते रहे।।ÞÞ लश्कर भी तुम्हारा हैं,सरदार भी तुम्हारा है।और तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा हैं।Þ जिले के उस्ताद शायर मरहूम जनाब अब्दुल रब सदा के गजल संग्रह वक्त को आइना चाहिये का विमोचन भी मंच से हुआ। आपके साहबजादे जनाब मिनाज कुरैशी ने मंच से अपने अशार पढ़ते हुये फरमाया किÞपिछली रुतों के सारे वो मंजर बदल गये।अबकी तो मौसमों के ही तेवर बदल गये।.2. तर्जे सितम ना बदली जमाने के साथ साथ। इतना जरूर हुआ कि सितमगर बदल गये।Þ कानपुर से पधारी मोहतरमा परवीन नूरी ने अपनी मधुर आवाज में गजले और गीत पढ़कर श्रोताओं से खूब वाह वाही बटोरी। आपने कहा कि Þ जिस दिन से तुम हमारे ख्यालों में आ गये।हम तीरगी से चलके उजालों में आ गये।खुद को बहुत सम्भाल के सक्खा था आज तक। लेकिन तुम्हारे चाहने वालों में आ गये।ÞÞआपका खत छिपा लिया मैंने,यूं मुक्द्दर जगा लिया मेंने।तेरे सीने में दिल कहां से हो,तेरा दिल तो चुरा लिया मेंने।Þ सदभाव के मंच से लाफ्टर चेंलेंज तक का सफर तय करके जिले का नाम पूरी दुनिया में रोश करने वाले एहसान कुरैशी ने सानिया मिर्जा की शादी पर चुटकी लेते हुये कहा किÞ सानिया जी सानिया जी गजब ढा रही हो। टेनिस का बेड क्रिकेट के बेड से टकरा रही हो।क्या देश के जवानों को लकवा लग गया हैंं जो पाकिस्तानी शोएब से शादी रचा रही हो।अगर सानिया जी आप ये मानती हो कि क्रिकेट खिलाड़ी में दम हें। तो अपना यूसुफ पठान कौन सा कम हैर्षोर्षोअगर तुम ये मानती हो कि शादी शुदा आदमी एकदम से खरा हैं। तो फिर भला एहसान कुरैशी क्या बुरा हैर्षोर्षोÞ देश के मशहूर शायर जनाब नज़र बिजनोरी ने अपनी गजलों से ऐसा समां बांधा कि श्रोता वाह वाह करते ही रह गये। आपने कलाम पढ़ते हुये कहा किÞक्या बताऊं तुम्हें कि मेरा या कैसा हैंर्षोर्षोचान्द सा नहीं हें वो चान्द उसके जैसा हैं।Þ अपनी दिलकश गजल में उन्होंने कहा किÞ मेरे दिल की ये सदा है, ये पयाम आखिरी हैं। मेरी जां कुबूल कर ले, ये सलाम आखिरी हैं। तेरी राह तकते तकते, मेरा दम निकल ना जायें। दमें आखिरी है लब पे, तेरा नाम आखिरी हैं। मैं हूं दो घड़ी को मेहमां, तू मुझे गले लगा है। तेरी अंजुमन में मेरा, ये पयाम आखिरी हैं।Þ जिले की माटी में पली बढ़ी शायरा रचना एहसान, जिनके गजल संग्रह ßतेरी याद मेंÞ का आज विमोचन भी हुआ था, ने मंच पर अपने कलाम पढ़कर समां बांध दिया। आपने कहा किÞहाथों से मेरे उनके जो टकरायीं उगलियां। शरमा के खुद ब खुद ही सिमट आयीं उगलियां।अल्फाज सब गले में अटक कर ही रह गये,रुख्सत के वक्त सिर्फ नज़र आयीं उगलियां।Þ दिल्ली से आये लोकप्रिय गीतकार यशपाल यश ने राष्ट्र भक्ति से ओत प्रेत और सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाली सशक्त रचनाओं का पाढ़ कर माहौल बना दिया। आपने कहा किÞसबको राम राम और सलाम बोलता हूं मैं। उसके बाद राज की किताब खोलता हू मैंं। जितना बोलता हूं उतना सच बोलता हूं मैं। बोलने से पहले शब्द शब्द तोलता हूं मैं।Þ दिल्ली दहला रही हैं, काश्मीर चीखता हैं। मुझको मेरा वापस ,शवाब कर दीजिये। सहमे सहमे रहते हैं झील और शिकारे में। वादी कहे मुझको गुलाम कर दीजिये।Þ अगली कवियत्री के रूप में रायबरेली से आयीं सुश्री प्रज्ञा विकास ने अपने अनूठे अन्दाज मे काव्य पाढ़ कर मंच लूट लिया। आपने कहा किÞमहल नहीं हैं, खंड़हर हैं, मगर हमारा है। इसे छोड़ दें कैसे ये घर हमार है।। यहां के लोग दुआओं में मौत चाहते हैं। जो जी रहें हैं हम, ये हुनर हमारा हैं।जरा सी बात पे आंखें भी मोड़ लीं हमसे। किसी से हमने कहा था शजर हमारा हैं। Þ मुशायरे और कवि सम्मेलन के दौर को अंजाम तक पहुचाते हुये श्री सागर त्रिपाठी के मजहबी उर्दू अन्दाज ने तो भपूर दाद बटोरी। आपने कहा किÞ हसद नफरत का ये मौसम नहीं। मोहब्बत हर तरफ हैं गम नहीं हैं।यहां हर शख्स हैं खुद में मुकम्मल, किसी का कद किसी से कम नहीं हैं।ÞÞ मोहब्बत छोड़िये, तकरार में भी लुफ्त आता हैं। अगर तकरार भी उर्दू जबां में होती हैें।ÞÞ गीता उपजी फर्श से, अर्श से हैं कुरआन। हिन्दू मुस्लिम साथ लें दो जहां का ज्ञान।Þ सुबह पौ फटते तक चले इस मुशायरे और कवि सम्मेलन का श्रोताओं ने खूब आनन्द उठाया। कार्यक्रम में जिले की प्रतिभाओंं को भी सम्मानित किया गया। सदभाव संस्था ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी शायरों,कवियों,श्रोताओं,दानदाताओं और सहयोगियों के प्रति आभार प्रदर्शन किया।