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Monday, April 5, 2010

क्या डरे हरवंश और बने अनिल के बीच लुका छिपी का सियासी खेल चल रहा है
बीते दस सालों से चल रही थी नूरा कुश्ती या भावी नये राजनैतिक समीकरणों की तैयार हो रही हैं पृष्ठभूमि

सिवनी। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया के सम्मान समारोह के चचेेZ राजनैतिक गलियारों में हैं। दस साल से एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हरवंश सिंह और अनिल चौरसिया द्वारा मंच पर की गई हरकतें और एक दूसरे की तारीफों के पुल बांधने को विश्लेषक ऐसा मान रहें हैं कि डरे हरवंश और बने अनिल के बीच आंख मिचोंली का खेल जारी हैं। मंच से जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू द्वारा दिया गया भाषण भी चर्चा का केन्द्र बन रहा हैं। पिछले विस चुनाव में पुराने समूचे केवलारी विस क्षेत्र से भाजपा से मात खाने वाले हरवंश सिंह पुरजोर विरोध और पूरी ताम झाम और पैसा झोंकने के बाद भी अनिल चौरसिया की जीत को रोक नहीं पाये थे। जिला इंका द्वारा घोषित प्रत्याशी सुधीर जैन ना केवल चुनाव हार गये थे वरन तीसरे नंबंर पर चले गये थो अपने आप को हरवंश सिंह के दरबार के नौ रत्नों में से एक मानने वाले सुधीर जैन की हार और जिस अनिल चौरसिया से वो हारे उसे ही हरवंश सिंह द्वारा जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बनवा देना सियासी हल्कों में एक पहेली ही बना हुआ हैं।हमने पूर्व में ही यह प्रकाशित किया था कि कांग्रेस में विद्रोह को रोक पाने में असफल हरवंश सिंह ने जिपं चुनाव में योग्यता का अपना पुराना पैमाना बदल दिया था और मोहन चन्देल और अनिल चौरसिया को अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के लिये चयन किया था। वरना योग्यता और अनुभव की कमी पहली जिला पंचायत से लेकर आज तक कभी भी नहीं थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि जब ओला पीड़ित क्षेत्र धनोरा में हरवंश सिंह दौरे पर गये थे तो उन्होंने उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया का नाम भी छपवाया था। जिपं अध्यक्ष मोहन चन्देल एवं सदस्य बशीर खॉन अनिल को लेने गये थे लेकिन अनिल ने कन्नी काट ली थी। इसके साथ ही अन्य स्थानों पर हरवंश विरोध भी बन्द नहीं हुआ था। ऐसी ही टालमटोल एकाध बार हो गई थी। जबकि जीतने के बाद अनिल चौरसिया पूर्व केन्द्रीय मन्त्री विमला वर्मा के निवास जाकर ना केवल उनका आशीZवाद लिया था वरन अखबारों में उनकी तारीफ के साथ फोटो भी छपवाये थे। बताया जाता हैं कि शह और मात के इस खेल ने ही अनिल चौरसिया के क्षेत्र में ही उनके पुराने राजनैतिक प्रतिद्वन्दी रेहान पटेल के द्वारा उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें हरवंश सिंह मुख्य अतिथि और सांसदबसोरी सिंह विशिष्ठ अतिथि थे। जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू भी मंच पर थे। इस अवसर पर महेश मालू का दिया हुआ भाषण भी कोई कम रोचक नहीं था। उन्होंने अनिल की जन सेवा की तारीफ करते हुये कहा कि इसीलिये वे कोई भी चुनाव लड़तें हैं तो जीतते ही हैं। ऐसे में यह प्रश्न स्वभाविक हो जाता हें कि जब जिला इंकाध्यक्ष यह सच्चायी जानते थे तो जिला पंचायत के चुनाव में अनिल को इंका समर्थित प्रत्याशी क्यों नहीं घोषित किया थार्षोर्षो इंका अध्यक्ष के भाषण के बाद जो राजनैतिक नौटंकी मंच पर हरवंश सिंह और अनिल चौरसिया ने की उसे मौजूद लोग देखते ही रह गये। जहां एक तरफ हरवंश सिंह ने अनिल को अनुभवी और जुझारू नेता बताया तो वहीं अनिल ने भी क्षेत्र को पिछले 16 सालों से हरवंश जैसे जनसेवक के मिलने की सराहना कर डाली। मंच पर नेताओं की राजनैतिक तमाशे बाजी जारी थी तो वहीं दूसरी ओर पिछले दिनों को याद कर इस नौटंकी का भविष्य तलाश रहे थे। जिपं चुनाव में बनी हरवंश अनिल युति से आगे किसको कितना लाभ मिलेगा यह तो भविष्य की गर्त में हें लेकिन इतना जरूर हैं कि बिना किसी मेहनत के अनिल चौरसिया एक बार फिर इंका नेता कहलाने लगें हें और जिला इंकाध्यक्ष उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ने लगें हैं जो पालिका चुनाव तक उनका नाम सुनकर ही बिचकने लगते थे। सियासी हल्कों में लोग यही कह रहें हें कि डरे हरवंश और बने अनिल के बीच क्या लुका छिपी का खेल चल रहा हैर्षोर्षो क्या पिछले दस सालों से दोनों के बीच नूरा कुश्ती चल रही थीर्षोर्षो या फिर आज की नौटंकी कल के किसी नये राजनैतिक समीकरण की पृष्ठभूमि तैयार कर रही हैंर्षोर्षो

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