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Sunday, April 25, 2010

बड़ों का आशीZवाद,साथियों का साथ और छोटों का स्नेह मिलना सुजीत की सफलता के लिये आवश्यक है
सफलता के लिये सबको साथ लेकर चलना होगा सुजीत को -जिला भाजपा के युवा अध्यक्ष सुजीत जैन के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित मंहगायी विरोधी रैली में जिले का भागीदारी प्रशंसनीय रही। मंड़लों क गठन का काम भी पूरा हो गया हैं। जिला कार्यकारिणी और मोर्चा संगठनों की नियुक्ति होना बाकी हैं। वैसे तो सुजीत संगठन के क्षेत्र में लंबे समय से जुड़े हुये तथा उन्हें अनुभव भी हैं। लेकिन विभिन्न खेमों में बंटी भाजपा को एक साथ लेकर चलना एक दुष्कर कार्य हैं।वैसे भी गुटीय राजनीति के हिसाब से सुजीत पूर्व विधायक नरेश खेमे के माने जाते हैं। निवर्तमान अध्यक्ष सुदर्शन बाझल भी नरेश खेमे के ही थे। बनने के लिये तो यह एक योग्यता हो सकती हैं लेकिन बनने के बाद सभी को लेकर चले बिना संगठन को चलाना ना मुमकिन हो जाता हैं। श्री बाझल अपने पर लगे ठप्पे को पूरी तरह हटा नहीं पाये इसलिये उन्हें काफी दिक्कतों का सामना कई बार करना पड़ा था। भाजपा में नरेश के अलावा डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन,विधायक नीता पटेरिया,शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले के अलावा भी कई छोटे बड़े खेमे हें जिनकी संगठन के स्तर पर वजनदारी हैं।जिले के पूर्व अध्यक्ष गण प्रमोद कुमार जैन,वेदसिंह ठाकुर,सुदर्शन बाझल,नपा अध्यख्ज्ञ राजेश त्रिवेदी सहित कई वरिष्ठ एवं कनिष्ठ नेताओं से तालमेल बिठाना सुजीत के लिये जरूरी होगा। बड़ों का आशीZवाद,साथियों का साथ और छोटों का स्नेह मिलना सफलता के लिये आवश्यक हैं। इस बार मंड़लों के कथित चुनावों के कारण भी ग्रामीण स्तर पर कार्यकत्ताZओं की काफी नाराजगी हैं। इन सब कठिनाइयों को दूर करने के लिये यह जरूरी होगा कि सुजीत बनाने वाले के साथ सभी नेताओं को साथ लेकर चलें तभी सफलता उनके कदम चूम सकती हैं।
क्या मंड़ी चुनाव में फिर समर्थन और आशीZवाद प्राप्त कांग्रेसी होंगें मैदान मेंर्षोर्षो-मंड़ी चुनावों को लेकर जो गहमा गहमी नेताओं में मची हुयी थी आरक्षण ने उसकी हवा निकाल दी हैं। जिले की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिवनी मंड़ी आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित हो गई हैं। इस मंड़ी क्षेत्र तनी विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा शामिल हैं। जिले के दोनों सामान्य क्षेत्र सिवनी और केवलारी तथा बरघाट विस क्षेत्र शामिल हैं। चूुकि इसमें केवलारी क्षेत्र का हिस्सा भी आता हैं इसलिये कांग्रेस में इस चुनाव को लेकर खासी उत्सुकता रहेगी। कांग्रेस में आदिवासी नेताओं की लंबी चौड़ी फौज भी हैं जिनमें सिवनी जनपद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिरसाम,पूर्व उपाध्यक्ष नरेश मरावी, कुरई जनपद के पूर्व अध्यक्ष सदाशिव कर्वेती,शिवनारायण उइके,गौगपा से कांग्रेस में आये मेहतलाल बरकड़े, वर्तमान मंड़ी सदस्य बराती लाल,पूर्व जिला पंचायत सदस्य छिदामी लाल सहित लगभग एक दर्जन दावेदारों के नाम हवा में तैर रहें हैं। वैसे तो ये चुनाव भी गैरदलीय आधार पर होना हैं लेकिन यदि राजनैतिक दलों ने अपने समर्थित प्रत्याशियों की घोषणा की तो फिर पूरा राजनैतिक ध्रुवीकरण हो जायेगा। कांग्रेस का एक धड़ा यह कोशिश कर रहा हैं कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार की घोषणा ना करे ताकि सभी ख्ुाल कर अपने अपने पंसदीदा उम्मीदवार का काम कर सकें। वैसे भी में ऐसे स्थानीय चुनावों में कांग्रेस का समर्थन तो एक को रहता हैं लेकिन ऐसे उम्मीदवार भी होते हैं जो आशीZवाद प्राप्त होते हैं। ऐसे में अक्सर यह भी हो जाता हैं कि समर्थन और आशीZवाद प्राप्त दोनों ही धराशायी हो जाते हैं। वैसे तो सीधे चुनाव वाला यह मंड़ी का तीसरा चुनाव हैं और पिछले दोनों चुनावों लड़े तो कई कांग्रेसी लेकिन जीत भी उनमें से ही एक की हो गई थी। पहले अध्यक्ष के रूप में दिलीप बधेल और दूसरे चुनाव में दुगाZप्रसाद बधेल चुनाव जीत थे और दोनो ही बार भाजपा के स्व. गोविन्द पटेल को हार का मुंह देखना पड़ा था।
महंगायी के विराध में तीसरे मोर्चे का बन्द-
जिले में तीसरे मोर्चे की राजनैतिक आहटें सुनायी दे रहीं हैं। इसने आगामी 27 अप्रेल को भारत बन्द के तहत सिवनी बन्द का भी आयोजन कर रहे हैं। वैसे तो मंहगायी के विरोध में संसद में प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा ने दिल्ली में विशाल रैली आयोजित कर इसकी शुरुआत कर चुकी हैं। हां यह बात जरूर अलग हैं कि युवा नेतृत्व के नाम पर अध्यक्ष बन नितिन गड़करी चिलचिलाती धूप के कारण रैली में ही बेहोश हो गये थे। तीसरे मोर्चे का यह शंखनाद कितना सफल होगा र्षोर्षो यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन इस मोर्चे की गतिविधियां बढ़तीं हैं तो यह निश्चित रूप से जिले की राजनीति के लिये एक महत्वपूर्ण बात होगी क्योंकि गैर कांग्रेसी और गैर भाजपायी सशक्त विकल्प यदि मिलेगा तो इन दोनों ही सत्तासीन राजनैतिक दलों की निरंकुश गतिविधियों पर कुछ अंकुश लग सकेगा।
राजेश नाथ भेंट में माडल रोड़ की मांग-
नव निर्वाचित नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने दिल्ली जाकर केन्द्रीय भूतल एवं परिवहन मन्त्री कमलनाथ से मिलकर जबलपुर और नागपुर दोनों छोरों के बीच शहर से गुजरने वाली रोड़ को माडल रोड बनाने का आग्रह किया।इसी चर्चा के दौरान उन्होंने यह भी कहा सिवनी फोर लेन के सम्बंध उनका ना उनके डिपार्टमेंट का कोई अड़ंगा हैं। सिवनी वालों को यह सवाल जयराम रमेश से करना चाहिये। फोर लेन के मामले में आये अड़गें को लेकर जिले के भाजपा के जनप्रतिनिधियों और भाजपा ने ही कमलनाथ को कठघरे में खड़ा किया था। उस दौरान कुछ तर्क ऐसे दिये गये थे जो लोगों को सही लगे थे। कांग्रेस तो स्वयं उनके द्वारे जाकर जब निराकरण की गुहार लगा रही थी तब यह कहा जा रहा था कि जिसने दर्द दिया हैं ये उसी से दवा मांगने जा रहें हैं। बात जो कुछ भी हों अखबारों में छपे समाचार के अनुसार यदि कमलनाथ ने सिवनी वालों को यह सवाल जयराम रमेश से पूछने को कहा था तो उनसे भी इतना पूछ ही लिया जाना था ताकि स्थिति स्पष्ट हो जाती।क्योंकि इससे यह तो साफ झलकता हैं के दोनों मन्त्रियो का अहमं कहीं ना कहींं टकरा रहा हैं जो फोर लेन में आड़े आ रहा हैं। खैर बात जो कुछ भी रही हो लेकिन युवा नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने यह एक अच्छी पहल की हैं कि नगर विकास के लिये दलीय भावनाओं से परे हट कर यह प्रयास किया। यह और भी बेहतर और सशक्त हो सकता था जब गैर दलीय आधार पर ही जिले के अन्य जनप्रतिनिधि भी इस पहल में साथ होते। यह तो शुरूआत हैं । आगे के प्रयासों में यदि यह सुधार आ जायेंगें तो नगर विकास के लिये केन्द्र और प्रदेश सरकारों से धनराशि प्राप्त करना और आसान हो जायेगा। लेकिन पैसा लाने के बाद यह भी ध्यान रखना जरूरी होगा कि पैसे की पिछले कार्यकाल जैसी बन्दर बांट ना हो वरना सब कुछ बंठाधार हो जायेगा।

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