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Sunday, April 4, 2010

political dairy of Seoni dist.of m.p.

सोनिया की विश्वस्त उर्मिला सिंह के सम्मान समारोह से हरवंश समर्थक जिला इंका की अनुपस्थिति चर्चित
भाजपा के संगठन चुनावों में संघ के मठाधीशों ने मचायी धूम-
जिला भाजपा के चुनावों को लेकर भाजपायी ही यह चर्चा करने लगें हैं कि अब तो अपनी पार्टी में भी कांग्रेस की तर्ज पर चुनाव होने लगे हैं। जिले में भाजपा के 17 मंड़ल हें जिनमें से 13 मंड़लों के अध्यक्षों और जिला प्रतिनिधियों की बमुश्किल घोषणा हो पायी हैं। शेष मंड़लों की घोषणा जिले के चुनावों के बाद होने की ही संभावना हैं। इस बार सबसे मजेदार बात यह रही कि एक भी मंड़ल के चुनाव अधिकारी चुनाव परिणामों की घोषणा नहीं कर पायें हैं। जिले के संगठन मन्त्री से साफ निर्देश थे कि सर्व सम्मति बने तो ठीक नहीं तो सारे उम्मीदवारों के नाम लेकर आ जाओं उनकी घोषणा यहीं से की जायेगी। इस तरह चूंकि 13 मंड़लों का गठन हो गया था इसलिये जिले के चुनाव संपन्न कराना भी जरूरी हो गया था। लेकिन निर्देश वही के वहीे थे। अखबारों में इन चुनावों को लेकर समाचार भी छपे लेकिन भाजपा के कर्णधारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगीं। अधिकांश मंड़लों के चुनावों से कार्यकत्ताZओं में असन्तोष व्याप्त हैं। राजनीति के जानकारों का मानना हैं कि संघ का भाजपा पर नियन्त्रण तो शुरू से ही रहता हें लेकिन भाजपा कभी भी संघ की इतनी अधिक बंधक नहीं दिखी जितनी कि इस बार दिखायी दे रही हैं। संघ के जिले के झंड़बरदारों के बिना मंड़लों की और प्रदेश के झंड़ाबरदारों के बिना जिले में किसी भी भाजपा नेता का कुछ भी बन पाना सम्भव नहीं हैं।
जिला इंका की अनुपस्थिति ने चर्चित बना दिया उर्मिला सिंह के कार्यक्रम को -
हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल बन कर पहली बार सिवनी आयी महामहिम उर्मिला सिंह का प्रवास कई मायनों में चर्चित रहा। प्रशासनिक हल्कों में भी इस बात की चर्चा रही कि राज्यपाल के कार्यक्रम की शासकीय विज्ञप्ति तक जारी नहीं हुयी। प्रदेश की सीमा पर उनकी आगवानी के लिये प्रोटोकाल अधिकारी के अलावा अन्य किसी का भी उपस्थित ना रहना चर्चा में रहा।महामहिम राज्पाल जैसे संवैधानिक पद के लिये निर्धारित प्रोटोकाल क्या हैर्षोर्षोइसकी बहुत अधिक जानकारी हो सकता हैं कि चर्चा करने वालों को ना हो लेकिन यह तो एक निZविवाद सत्य हैं कि श्रीमती उर्मिला सिंह इस जिले की बेटी हैं और प्रदेश की वरिष्ठ आदिवासी नेता रहीं हैं। इसलिये उनके राज्यपाल बनने से निश्चित रूप से जिला और प्रदेश दोनों ही गौरवािन्वत हुये हैं। पद की शपथ ग्रहण करने के बाद उनके प्रदेश में पहले प्रवेश पर यदि हम उनकी प्रशासकीय और राजनैतिक रूप से आगवानी कर लेते तो कोई दोष तो देता नहीं वरन तारीफ ही की जाती कि सभी के द्वारा जोरदार आगवानी की गई। जिले की सीमा खवासा से लेकर सिवनी शहर तक और फिर अगले तीन दिनो तक राज्यपाल का जिले वासियों ने दिल खोलकर स्वागत किया। जिला मुख्यालय में लालकिला लॉन में मुख्य अभिनन्दन समारोह रखा गया था। इसके लिये एक आयोजन समिति गठित की गई थी। इस आयोजन समिति में जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चन्देल सहित आशुतोष वर्मा, राजकुमार पप्पू खुराना,प्रसन्न मालू, संजय भारद्वाज,जकी अनवर,प्रदीप राय सहित अन्य लोग शामिल थे। अधिकांश कांग्रेसियो वाली इस समिति से अन्य दलों ने तो परहेज नहीं किया लेकिन जिला इंका के अध्यक्ष सहित अधिकांश पदाधिकारियों ने राज्यपाल जी के सम्मान समारोह से परहेज किया।जबकि विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते इंका विधायक ठा. हरवंश सिंह समारोह में उपस्थित थे। राजनैतिक हल्कों में इस बात को लेकर यह चर्चा व्याप्त है कि हरवंश सिंह की मर्जी के बिना एक इंच भी ना हिलने वाली जिला इंका उनके समारोह में आने के बाद भी क्यों नहीं आयीर्षोर्षो जिला इंका के शामिल ना होने के कारणों के लोग अलग अलग कयास लगा रहें हैं। इसके अलावा जिला भापा के अध्यक्ष सुदर्शन बाझल,पूर्व मन्त्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन, पूर्व विधायक नरेश दिवाकर भाकपा सचिव हजारी लाल हेड़ाऊ,माकपा के सोहन क्रीड़े,भाजपा के पूर्व नपा अध्यक्ष प्रमोद कुमार जैन, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष वेद सिंह ठाकुर सहित कई अन्य राजनीतिज्ञ समारोह मे उपस्थित थे। उनके अलावा पचास सेअधिक सामाजिक,व्यापारिक,शासकीय कर्मचारी संगठन,जातीय एवं खेल संगठनों ने इस समारोह में महामहिम का सम्मान किया।जिला पंचायत,जनपद पंचायतों और नगर पालिका के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने भी सम्मान किया था। इसीलिये जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू की अनुपस्थिति को समारोह में उपस्थित लोगों के अलावा प्रेस ने भी नोट किया और यह अखबारों में सुखीZ भी बना। वैसे भी जिले की राजनीति की जरा भी जानकारी रखने वाले लोग इस बात से भी भलीभंाति वाकिफ हैं कि जब हरवंश सिंह और उर्मिला सिंह दिग्गी के मन्त्रीमंड़ल में साथ थे तब भी हरवंश सिंह को वे फूटी आंख नहीं सुहाती थीं। और तो और 2003 के विस चुनाव में उर्मिला सिंह की हार का जवाबदार भी उन्हें माना जा रहा था। लेकिन उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विश्वासपात्र बन उर्मिला सिंह ने सबसे पहले कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य फिर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद अब हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल बनीं हैं। उसके बाद भी जिला इंका की यह अनदेखी राजनैतिक हल्कों में चर्चा का विषय बनी हुयी हैं।
निन्दा अकेले आदित्यकुमार की ही क्यों क्या शेष प्रशंसा के पात्र हैं-
कभी किसी की आंख का तारा होने वाले ही आज आंख की किरकिरी बन गया हैं।ऐसा ही नजारा नगर पालिका की बजट मीटिंग में देखने को मिला जब संस्था के सर्वोच्च तकनीकी अधिकारी सहायक यन्त्री डी. आदित्य कुमार के खिलाफ निन्दा प्रस्ताव लाया गया जो कि पास भी हो गया। वैसे तो आदित्य कुमार सम्मान करने लायक थे ही नहीं तो उन्हें सालों मिला।निर्माण कार्यों में घपले और बनाये गये कीर्तिमानों के प्रणेता ये ही थे। पैसे के लिये उस परिषद में क्या कुछ नहीं हुआर्षोर्षो ऐसा भी हुआ जिसका उल्लेख भी सार्वजनिक रूप से नहीं किया जा सकता। लेकिन जो कुछ आया क्या वो सभी आदित्यकुमार ही हजम कर गये। क्या शासन से नोटिस पाने वानी तत्कालीन अध्यक्ष पार्वती जंघेला,उपाध्यक्ष सन्तोष पंजवानी और सी.एम.ओ. मकबूल खॉन जवाबदार नहीं हैं। एक घड़ी उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश को देखते हुये खॉन को अनग भी कर दिया जाये तो क्या ये दोनों भी आदित्य कुमार के समान ही निन्दा के पात्र नहीं हैंर्षोर्षो यदि नहीं हैं तो क्या पालिका इनका नागरिक अभिनन्दन करेगीर्षोर्षो उपाध्यक्ष राजिक अकील द्वारा इस सम्बंध में उठायी गई आपत्ति और अन्य जिम्मेदार लोगों को भी शामिल करने की बात सुनी ही नहीं गई। ऐसा सब क्यों हुआ और कौन कराना चाहता हैंर्षोर्षोइसका खुलासा आज नहीं तो कभी तो होगा ही।नव निर्वाचित उत्साही एवं युवा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को इन सब मामलों की गहरायी तक जाना जरूरी है अन्यथा पिछली पालिका के पापों के छींटों से वे बच नहीं सकेगें।

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