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Friday, February 26, 2010

जिला पंचायत में फिर हुआ कांग्रेस का कब्जा
मोहन चन्देल अध्यक्ष और अनिल चौरसिया उपाध्यक्ष बने:बगावत के डर से योग्यता का पैमाना बदला हरवंश ने
सिवनी। जिला पंचायत के चुनावों में कांग्रेस ने लगातर चौथी बार अपना कब्जा बरकरार रखा हैं। इंका के मोहन चुदेल और अनिल चौरसिया अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुन लिये गये हैं। जिला पंचायत के 19 सदस्यों में से 13 कांग्रेस,4 भाजपा और दो निर्दलीय सदस्य चुनाव जीत थे। शुरू से ही यह पक्का अनुमान था कि कांग्रेस अपना कब्जा तो बरकरार रखेगी लेकिन इंका नेता हरवंश सिंह प्रत्याशी किसे बनायेंगेंर्षोर्षो इसे लेकर तरह तरह की अटकलें लगायी जा रहीं थीं। पिछले तीन कार्यकाल में गीता उइके,रैनवती मानेश्वर और प्रीता ठाकुर को मौका देने वाले हरवंश सिंह के प्रत्याशी चयन का आधार हर राजनेता अच्छी तरह से जान गया था। उसी आधार पर लोग यह कयास लगा रहे थे कि अगला पिछले से बड़ा ही होगा। इस चुनाव में कांग्रेस ने भले ही भारी सफलता हासिल कर ली थी लेकिन भयंकर आक्रोश सदस्यों में था तथा हरवंश सिंह के ही गुट में अलग अलग नेता अनपे अपने पसन्दीदा उम्मीदवार को ही चुनाव लड़वाने के लिये दवाब डाल रहे थे। चतुर सुजान हरवंश सिंह भी यह बात भली भान्ति जान चुके थे कि इस बार आक्रोश को रोकना सम्भव नहीं हैं। संभावित भारी बगावत को रोकने के लिये हरवंश सिंह ने इस योग्यता का पैमाना मजबूरन बदला और मोहन चन्देल और अनिल चौरसिया को उम्मीदवार बनाया। जबकि अनिल चौरसिया ने तो केवलारी विधानसभा क्षेत्र के कान्हीवाड़ा क्षेत्र से ही हरवंश सिंह के चहेते कांग्रेस प्रत्याशी सुधीर जैन को तीसरे स्थन पर फेंक कर भारी वोटों से चुनाव जीता था। इस सबके बावजूद भी कांग्रेस चुनाव तो भले ही जीत गई लेकिन बगावत नहीं रुक पायी और बागी रामगोपाल जैसवाल ने भाजपा का समर्थन हासिल कर आठ वोट ले लिये जबकि भाजपा के मात्र चार सदस्य ही चुनाव जीते थे। यदि दो और वोट भी इधर उधर हो जाते तो पांसा ही पलट सकता था। और शायद इसी कारण दोनों युवा तुर्क नेताओं को इस बार यह अवसर मिल गया।
बरघाट और कुरई जनपद में पहली बार हुआ भाजपा का कब्जाविधायक
कमल मर्सकोलेऔर सन्तोष अग्रवाल की मेहनत लायी रंग
सिवनी। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भले ही कांग्रेस बरघाट और सिवनी विधानसभा क्षेत्र से लंबे समय से चुनाव हारती रही हो लेकिन जनपद पंचायत बरघाट और कुरई में शुरू से ही कांग्रेस का वर्चस्व रहा हैं। लेकिन इस बार दोनो ही जनपद पंचायतों में भाजपा ने अपना कब्जा जमा लिया हैं। भाजपा के युवा विधायक कमल मर्सकोले और भाजपा नेता सन्तोष अग्रवाल की कुशल रणनीति के चलते दोनों जनपद पंचायतों में भाजपा ने पहली बार अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष निZवाचित करवाने में सफलता प्राप्त कर ली हैं। कुरई जनपद में तो कांग्रेस के उम्मीदवार को सिर्फ चार वोटों से ही सन्तोष करना पड़ा। पूरे जिले भाजपा की जो दुर्गति हुयी हैं उसे देखते हुये यही कहा जा सकता हैं कि यदि अन्य जनप्रतिनिधियों की तरह विधायक कमल मर्सकोले भी नििष्क्रय रह जाते तो भाजपा का नामलेवा भी कोई नहीं बचता।

श्रीधाम रामटेक परियोजना का सवेü अपग्रेट का प्रावधान स्वागत योग्यज्
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और ममता बैनर्जी का आाार
रेल मन्त्री ममता बैनर्जी द्वारा रामटेक श्रीधाम व्हाया सिवनी नई रेल लाईन को सामाजिक रुप से वांछनीय रेल संपर्क योजना के तहत शामिल कियेे जाने पर जिले की जनता उनका आाार मानती है। इसके साथ ही संप्रग अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह और इंका महासचिव राहुल गांधी के प्रति ाी धन्यवाद ज्ञापित करती है। उक्ताशय के विचार व्यक्त करते हुए इंका नेता आशुतोष वर्मा ने जारी एक प्रेस विज्ञçप्त में उल्लेा किया है कि कल सदन में दिया गया रेल मन्त्री ममता बैनर्जी का ााषण जिलेवासियों के लिए एक आशा की किरण बन गया है। उन्होेने अपने ााषण में कहा कि सामाजिक रुप से वांछनीय रेल संपर्कता प्रस्तावों का उल्लेा उन्होेने पिछले बजट में किया था और इस आवश्यकता पर बल दिया था कि पिछडे क्षेत्रों को जोडने के लिए परियोजनाएं शुरु की जाएं। आपने यह ाी उल्लेा किया था कि कई प्रस्ताव काफ ी लंबे समय से लंबित हैं इसीलिए इन नई परियोजनाओं के सवेüक्षणों को अद्यतन करने का प्रस्ताव करते हैं तथा इसके बाद इनके आवश्यक अनुमोदन के लिए योजना आयोग के माध्यम से प्रक्रिया शुरु की जाएगी। अपनी विज्ञçप्त में उन्होने आगे उल्लेा किया है कि तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री एवं क्षेत्रीय सांसद कु. विमला वर्मा की मांग पर कांग्रेस के प्रधानमन्त्री स्वगीüय नरसिहा राव ने झोतेश्वर में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानन्द जी की उपçस्थति में 6 जनवरी 1996 को श्रीधाम रामटेक व्हाया सिवनी नई रेल लाईन बनाने की घोषणा एक विशाल आम साा में की थी। अपने ााषण में उन्होने यह ाी कहा था कि रेल्वे बोर्ड को इसमें नफ ानुकसान नहीं देाना चाहिए। क्योंकि इस रेल मार्ग से पिछड़े हुए आदिवासी इलाके में विकास के अवसर उपलब्ध होंगे। इन्हीं ाावनाओं के अनुरुप रेल मन्त्री ने जो प्रस्ताव इस परियोजना के लिए किए हैं वे स्वागत योग्य हैं। प्रेस को जारी विज्ञçप्त में इंका नेता वर्मा ने बताया कि 2005-06 में इस परियोजना के लिए पत्र लिाो अçायान चलाया गया था। पोस्ट कार्ड अçायान के तहत जिले के लगाग 25 हजार लोगों ने ाागीदारी की थी। इसके साथ ही 100 से अधिक संगठनों जिनमें राजनैतिक दलों, व्यापारिक, शासकीय कर्मचारी, ोल, जातीय एवं पत्रकार संगठनों के अलावा स्कूली छात्र छात्राओं ने ाी इस यज्ञ में अपनी आहूति दी थी। इस पत्र लिाो अçायान को जगतगुरु शंकराचार्य, स्वामी स्वरुपानन्द जी महाराज द्वारा स्वयं पत्र लिाकर अपना आर्शीवाद दिया था। इसके बाद ही संप्रग सरकार के पहले रेल बजट में इस परियोजना के लिए सवेü का बजट प्रावधान किया गया था। दूसरे वर्ष इन्हीं समथüन पत्रों को स्मरण पत्रों के रुप में सोनिया गांधी, प्रधानमन्त्री और रेल मन्त्री को ोजे गए थे। इस अçायान के दौरान प्रधानमन्त्री कार्यालय से प्राप्त पत्र से यह विदित हुआ था कि इस परियोजना को आवश्यक कार्यवाही हेतु रेल मन्त्रालय को ोज दिया गया है। विज्ञçप्त में आगे उल्लेा किया गया है कि पिछले रेल बजटों में इस परियोजना की उपेक्षा से जिले के नागरिकों में निराशा छा गई थी। लेकिन इस वर्ष रेल मन्त्री ने अपने रेल बजट में सवेü अपग्रेट कर आवश्यक अनुमोदन हेतु इसे योजना आयोग को ोजने की जो घोषणा की है उसका स्वागत करते हुए जिले की जनता हदय से आाार व्यक्त करती है।

Wednesday, February 24, 2010

हरवंश को हड़काया हरिप्रसाद ने
जबलपुर। कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में प्रदेश प्रभारी महामन्त्री बी.के.हरिप्रसाद को हरवंश सिंह का भाषण रास नहीं आया। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने अपने भाषण में संगठन के चुनावोंं में किये गये आरक्षण के प्रावधानों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये हरिप्रसाद को इंगित करते हुये कहा था कि ये आरक्षण समाप्त किया जाना चाहिये। सम्मेलन में उपस्थिम इंका नेताओं का कहना हैं कि हरवंश सिंह के इस भाषण पर खुली नाराजगी व्यक्त करतें हुये अपने उदबोधन में कहा कि हरवंश सिंह विधानसभा के उपाध्यक्ष हें और प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने अपने भाषण में इन्दिरा जी से लेकर राहुल गांधी तक किसी का भी नाम तक लेने की जरूरत नहीं महसूस नहीं की हैं। आपको यह मालूम होना चाहिये कि संगठन चुनावों में आरक्षण का फैसला लिया गया है वह सोहनया जी ने लिया हैं। उनके निर्णय की आलोचना करना कहां तक ठीक हैंर्षोर्षो बताते हें कि हरिप्रसाद के इस कथन पर जब हरवंश ने सफाई में बीच में कुछ कहना चाहा तो तो हरप्रिसाद ने उन्हें टोक कर चुप करा दिया कि जब आप बोल रहे थे तब मैंने नहीं टोका अब मैं बोल रहा हूंं तो आप सुनिये। राजनैतिक जानकारों का दावा हैं कि महाकौशल अपने आप को कांग्रेस से बड़ा समझने वाले हरवंश सिंह की तो यह आदत ही पड़ गई हैं और वे अपने भाषणाों में अक्सर इन्दिरा,राजीव,सोनिया और राहुल का नाम लेने से परहेज करते हैं और अपने मुह मियां मिट्ठू बन अपना ही बखान करते रहते हैं।

Tuesday, February 23, 2010

रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल तो जनता सालों से देख रही हैं लकिन बड़ी रेल लाइन का एक इंच भी काम नहीं हुआ हैं।

वृहद स्तर पर विधायक द्वारा आयोजित हल्दी कूकू चर्चित-भाजपा विधायक श्रीमती नीता पटेरिया द्वारा उनके आवास में आयोजित हल्दी कूकू कार्यक्रम सियासी हल्कों में काफी चर्चित रहा हैं। महाराष्ट्र की सीमा से लगे सिवनी जिले में हल्दी कूकू का कर्यक्रम तो काफी सालों से होता रहा हैें लेकिन किसी राजनैतिक शिख्सयत के द्वारा इतने वृहद स्तर पर पहली आयोजित हुये इस कार्यक्रम का स्वरूप धार्मिक कम रह कर राजनैतिक अधिक हो गया हैं। अखबारों की सुखीZ बने इस कार्यक्रम में लगभग तीन से चार हजार महिलाओं के शरीक होने के समाचार हैं। वैसे तो यहां रहने वाले महाराष्टिªयन परिवारों के द्वारा तो यह कार्यक्रम आयोजित हो रहें हैं लेकिन उत्तर भारतीय हिन्दू परिवारों में इसके स्थान पर सुहागलें आयोजित करने की परंपरा रही हैं। इसी कारण भाजपा की महिला विधायक के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उनके क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं की उपस्थिति नहीं के बराबर रही। लेकिन कुछ भी हो ऐसे आयोजन से महिलाओं को अपने विधायक से सतसंग का एक अवसर जरूर मिला जिसे उन्होंने सराहा भी हैे। हालांकि राजनीतिज्ञों द्वारा किसी भी आयोजन में राजनीति तलाशना एक आम बात हो गई हैं अब नगरपालिका और पंचायत चुनावों के बाद आयोजित इस कार्यक्रम में कौन सी राजनीति थीर्षोर्षो यह तो आयोजक ही बता सकतें हैं।रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल-बड़ी रेल लाइन का खेल सालों से चल रहा हैं। सिवनी के नेता अपनी हिकमत अमली से अपने आप को प्रयासरत दिखाने का स्वांग करते आ रहें हैं। कांग्रेस और भाजपा के नेता साल भर तो चुप रहते हैं लेकिन फरवरी के महीने में दिखाने के लिये राजनैतिक नौटंकी करने में लग जाते हैं ताकि यदि कुछ मिल जाये तो श्रेय लेने का मौका ना चूक जायें।इंका के इकलौते विधायक हरवंश सिंह कभी पेंच और रेल के लिये प्रतिनिधि मंड़ल ले जाते हैं तो कभी पत्र लिखकर रेल की मांग कर लेते हैं। इंका नेता आशुतोष वर्मा ने भी तीन साल तक लगातार पत्र लिखो अभियान चलाया और देश के तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी.व्ही.नरसिंहाराव द्वारा शंकराचार्य की उपस्थिति में घोषित गोटेगांव रामटेक नयी लाइन के लिये प्रयास किया लेकिन ऐसे समय में ही अन्य इंका नेताओं द्वारा छोटी लाइन को बड़ी रेल लाइन में बदलने की मांग उठाते रहे। इस साल ऐसा लगता हैं कि पिछले रेल बजट में घोषित छिन्दवाड़ा नैनपुर बड़ी रेल लाइन में बदलने की घोषणा में शायद इस साल कुछ आवंटन मिलने वाला हैं। बताया जाता हैं कि योजना आयोग की स्वीकृति के बाद जनवरी के महीने में केबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी हैं। फरवरी के महीने में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह रेल मन्त्री और भूतल परिवहन मन्त्री कमलनाथ को पत्र लिखकर यह मांग कर डाली और अखबारों में इसे खूब छपवाया गया। ऐसा होने पर पांच साल तक सांसद रहने वाली वर्तमान भाजपा विधायक नीता पटेरिया भला कहां पीछे रहने वालीं थी। वे भी रेल पंचायत की भाजपायी टोली में शामिल हो गईं और उस रेल राज्यमन्त्री से मिल आयीं जो कुछ दिन पहले ही प्रधानमन्त्री से यह रोना रोकर आये थे कि उनकी केबिनेट मन्त्री ममता बेनर्जी उन्हें कुछ काम ही नहीं दे रहीं हैं। उन्होंने भी अपनी इस मुलाकात का खूब प्रचार प्रसार कराया। लेकिन इस बात का ना तो इेका और ना ही भाजपा नेताओं के पास कोई जवाब है कि जब पिछले साल रेल मन्त्री ने अपने बजट भाषण में इस लाइन को बड़ी रेल लाइन में बदलने की घोषणा की थी और पूरे साल एक भी पैसा नहीं मिला तब ये सारे नेता किस बात का इन्तजार कर रहें थेर्षोर्षो तब ना तो किसी ने पत्र लिखा और ना ही किसी ने किसी मन्त्री से मुलाकात ही की थी। जबकि रेल मन्त्री की घोषणा पर श्रेय लेने के लिये विज्ञापनों छपवाने की होड़ में ये सारे नेता शामिल थे। हमारे जिले में तो यह परंपरा बन गई हैं कि बिना प्रयास किये जो कुछ मिल जाये उसका श्रेय ले लो और जो ना मिले उस पर चुप्पी साध जाओ और हो सके तो दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ दो। तभी तो अभी तक ना तो रेल आयी और ना ही पेंच परियोजना ही आयी। लेकिन अब ना सिर्फ जनता इन नेताओं की नौटंकी को बखूबी समझने लगे हैं वनर गुपचुप मजाक भी उठाने लगें हैं। रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल तो जनता सालों से देख रहीं हैं लेकिन बड़ी रेल लाइन के लिये काम एक इंच भी नहीं हो पाया हैं।रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल-जिले की आठों जनपद पंचायतों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव संपन्न हो गये हैं। इनमें पांच जनपदों में कांग्रेस,दो में भाजपा और एक जनपद में भाजपा की बागी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की हैं। इन चुनावों में प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा की इतनी बुरी गत बनी कि कुछ जनपद पंचायतों में उसे एक अदद उम्मीदवार भी नहीं मिले। छपारा और घंसौर जनपद पंचायतों में कांग्रेस ने निZविरोध जीत दर्ज की हैं। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि बतौर सांसद नीता पटेरिया पांच साल तक छपारा में ही निवास करती थीं। यह भी बताया जाता हैं कि सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया की उपस्थिति में सेंटर पाइंट हॉटल में आयोजित एक भोज मे छपारा जनपद के भाजपा समर्थित सात सदस्य शामिल हुये थेर्षोर्षो फिर ऐसा क्या हो गया कि विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की गृह जनपद में भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिलार्षोर्षो लखनादौन और घंसौर जनपद पंचायत में इंका नेता डॉ. आनन्द तिवारी और आलोक वाजपेयी और उनके साथियों की रणनीति सफल रही और दोनो आदिवासी जनपद पंचायतों में कांग्रेस अपना परचम फहराने में कामयाब हो गईं हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने अपनी विधानसभा क्षेत्र की दोनों जपद पंचायतों बरघाट और कुरई में पहली बार भाजपा का परचम फहरारया हैं। इंका विधायक हरवंश सिंह के निर्वाचन क्षेत्र की गृह जनपद केवलारी में भी कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा हैं।यहां भाजप की कमान सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक टेकाम, जिला भाजपा के महामन्त्री प्रमोद राय और मंड़ल अध्यक्ष देवी सिंह बघेल सम्भाल रहे थे। प्रदेश भाजपा के पूरे जिले की जवाबदारी फग्गन सिंह कुलस्ते को दी थी। इस जनपद पंचायत में भाजपा दो वोटों से हार गई हैं। भाजपायी हल्कों में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार कुलस्ते ने जिन दो जनपद सदस्यों को देने के लिये कहा था उसमें से ही एक सदस्य कांग्रेस की उम्मीदवार बन गई और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वैसे यह कोई नयी बात नहीं हैं कि जब हरवंश और कुलस्ते पर एक दूसरे सें सांठगांठ के आरोप लगें हों।परिसीमन से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक में इन दोंनो नेताओं पर नूरा कुश्ती के आरोप चस्पा होते रहें हैं।

Thursday, February 11, 2010

क्या अगला पिछले से Þबड़ाÞ ही होगा-
जिला पंचायत के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के चुनावों को लेकर इंका और भाजपा में हलचलें तेज हो गई हैं।19 सदस्यीय जिला पंचायत में कांग्रेस के दावे के अनुसार 13 सदस्यों के साथ उसका स्पष्ट बहुमत हैं और वह आसानी से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अपना बनवा लेगी। दूसरी ओर भाजपा की रणनीति इंका के असन्तोष से लाभ उठाने की हैं। इंका में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के दावेन्दारों की कमी नहीं हैं। हर दावेदार के पक्ष में कोई ना कोई वजनदार तर्क मौजूद हैं। अभी तक तीनों बार जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पद कांग्रेस का ही कब्जा रहा हैं। आदिवासी महिला के रूप में पहली अध्यक्ष गीता उइके बनी फिर अनु. जनजाति की महिला रैनवती मानेश्वर और उसके बाद तीसरी महिला अध्यक्ष के रूप में पिछड़े वर्ग की महिला प्रीता ठाकुर अध्यक्ष बनीं थीं अब चौथे अध्यक्ष का चुनाव हो रहा हैं। अभी तक अध्यक्ष पद के रूप में चुनाव के प्रत्याशियों के चयन में इंका नेता हरवंश सिंह का जो आधार रहा हैं उसे लेकर इंकाइयों में मजाक में यह कहा जाने लगा हैं कि क्या अगला पिछले से Þबड़ाÞ ही होगार्षोर्षो

Wednesday, February 10, 2010

वृहद स्तर पर विधायक द्वारा आयोजित हल्दी कूकू चर्चित-
भाजपा विधायक श्रीमती नीता पटेरिया द्वारा उनके आवास में आयोजित हल्दी कूकू कार्यक्रम सियासी हल्कों में काफी चर्चित रहा हैं। महाराष्ट्र की सीमा से लगे सिवनी जिले में हल्दी कूकू का कर्यक्रम तो काफी सालों से होता रहा हैें लेकिन किसी राजनैतिक शिख्सयत के द्वारा इतने वृहद स्तर पर पहली आयोजित हुये इस कार्यक्रम का स्वरूप धार्मिक कम रह कर राजनैतिक अधिक हो गया हैं। अखबारों की सुखीZ बने इस कार्यक्रम में लगभग तीन से चार हजार महिलाओं के शरीक होने के समाचार हैं। वैसे तो यहां रहने वाले महाराष्टिªयन परिवारों के द्वारा तो यह कार्यक्रम आयोजित हो रहें हैं लेकिन उत्तर भारतीय हिन्दू परिवारों में इसके स्थान पर सुहागलें आयोजित करने की परंपरा रही हैं। इसी कारण भाजपा की महिला विधायक के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उनके क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं की उपस्थिति नहीं के बराबर रही। लेकिन कुछ भी हो ऐसे आयोजन से महिलाओं को अपने विधायक से सतसंग का एक अवसर जरूर मिला जिसे उन्होंने सराहा भी हैे। हालांकि राजनीतिज्ञों द्वारा किसी भी आयोजन में राजनीति तलाशना एक आम बात हो गई हैं अब नगरपालिका और पंचायत चुनावों के बाद आयोजित इस कार्यक्रम में कौन सी राजनीति थीर्षोर्षो यह तो आयोजक ही बता सकतें हैं।

Saturday, February 6, 2010

अजीब मिजाज हैं यहां के लोगों का
अजीब मिजाज हैं इस सिवनी जिले का।यदि कुछ हो जाये तो बहुत अच्छा और कुछ ना हो तो कोई बात नहीं। यदि कोईं कुछ कर रहा हैं तो उसमें मीन मेक निकालने वालों की भी कमी नहीं हैं लेकिन इसके बदले क्या करना चाहिये इससे कुछ लेना देना नहीं हैं।फिर अपनी तरफ से कोई पहल करने की तो बात ही नहीं उठती हैं। ऐस ही कुछ पिछले पांच छ: सालों से बड़ी रेल लाइन के मामले को लेकर देखने को मिल रहा हैं। यह इस जिले का काफी महत्वाकांक्षी मुद्दा हैं जिसे समय समय पर उठाया जाता रहा हैं। जनवरी 1996 में जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी सरस्वती की तपोस्थली झोतेश्वर में देश के प्रधानमन्त्री पी.व्ही.नरसिंहाराव ने तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री एवं क्षेत्रीय सांसद कु. विमला वर्मा की मांग पर गोटेगांव से सिवनी होते हुये रामटेक तम बड़ी रेल लाइन बनाने की घोषणा एक विशाल आम सभा में की थी। प्रधानमन्त्री घोषणा के बाद हुये चुनाव में कांग्रेस हार गई और राजग सरकार के कार्यकाल मेंं इसके डीटेल सर्वे कराने की दिशा में भी कोई पहल नहीं हो पायी थी। लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में इस योजना के पूरे होने की आशा जागृत हुयी।इसके लिये पत्र लिखो अभियान चालू किया गया। आम लोगों ो अपील की गई कि आपका एक दस पैसे का पोस्टकार्ड आपको दिला सकता हैं बड़ी रेल लाइन। लोगों ने इसमें भागीदारी की और इन जन भावनाओं से जगत गुरू शेकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने भी पत्र लिखकर सारकार को अवगत कराया। सरकार क्षरा प्रस्तुत किये गये बजट में इसके डीटेल सर्वे के लिये बजट प्रावधान भी किया गया। इस परियेजना को चालू करने के लिये सौ करोड़ रुपये की मांग के साथ पूरे साल पोस्टकार्ड अभियान तथा पत्र लिखो अभियान चलाने का संकल्प लिया गया। आखिरी सौ दिनो में प्रतिदिन सौ पोस्टकार्ड भेजने की योजना बनायी गई। इस दौरान सभी सांसद और विधायकों के अलावा 237 स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधि,सौ से अधिक राजनैतिक दलों,सामाजिक,व्यापारिक,जातीय,खेल,शासकीय कर्मचारी एवं पत्रकार संगठनों ने अपनी भागीदारी निभाया और लगभग 25 हजार लोगों ने पोस्टकार्ड लिखकर जन दवाब बनाया। बजट प्रावधान ना होने पर अगले वर्ष समर्थन पत्रों को स्मरण पत्रों के रूप में भेजा गया। इस अभियान का मजाक भी उड़ाया गया । कहा गया कि भला पोस्टकार्ड लिखने से कोई बड़ी रेल लाइन आती हैं। इस अभियान के चलते कुछ राजनैतिक दलो के नेताओं ने प्रतिनिधिमंड़ल भी ले गये और इस रेल लाइन के साथ छिन्दवाड़ा से नैनपुर छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने की मांग भी जोड़ दी। नागपुर छिन्दवाड़ा सिवनी नैनपुर जबलपुर छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने काम दो छोर से जबलपुर से नैनपुर और नागपुर से छिन्दवाड़ा शुरू हो ही चुका था तथा केन्द्र सरकार के निर्णय के अनुसार इस अमान परिवर्तन को तो होना ही हैं। लेकिन इस मांग को जोड़ने से प्राथमिकता का सवाल उठ गया और डीटेल सर्वे के बजट प्रवाधान के बाद से मामला गोल हो गया। पिछले दो सालों से इस दिशा में कुछ भी हनीं हो रहा हैं तो किसी को भी कोई लेना देना नहीं हैं। पिछले रेल बजट में ममता बेनर्जी ने देश की शेष बची सभी छोटी लाइनों को बड़ी लाइन में बदलने की घोषणा की थी जिसमें सिवनी भी शामिल था तो नेताओं के श्रेय लेने की होड़ मच गई। लेकिन पूरे साल भी में ना तो एक पैसा इस लाइन को मिला और ना ही एक तसला गिट्टी इस लाइन को बदलने के लिये डली। लेकिन श्रेय लेने को आतुर नेता ना जाने कहां गुम होकर रह गयें हैं। पोस्टकार्ड अभियान का मजाक उड़ाने वाले तथा इस परियोजना के साथ छोटी लाइन को बदलने की मांग जोड़ने वाले नेता भी इन दो सालों से क्यों चुप बैठे हैं र्षोर्षो यह समझ से परे हैं। कोई कुछ करे तो मीन मेक निकालना और जब कुछ ना हो तो खुद भी कुछ ना करना ना जाने ऐसा मिजाज इस जिले के में क्यों हो गया हैं।अब आज वक्त का तकाजा यह है कि जिले के विकास के लिये इस महत्वांकांक्षी परियोजना को पूरा कराने के लिये सामूहिक पहल की जाये अन्यथा आज जिले का नेतृत्व करने वाले लोगोंं को आने वाली पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी।

Thursday, February 4, 2010

गोमती और अनिल के भी बनाया जीत का रिकार्ड-
जिला पंचायत के चुनावों में कुछ नतीजे और गौर करने लायक हैं। भाजपा समर्थित प्रत्याशी के रूप में लगातार चौथी बार जिला पंचायत का चुनाव जीत कर गोमती ठाकुर ने भी एक नया कीर्तिमान बनाया हैं। एक ही क्षेत्र से जिला पंचायत के गठन से लेकर हाल ही में संपन्न हुये चौथे चुनाव में भी गोमती ठाकुर ने बरघाट ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक बिसेन को प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में हराकर यह जीत हासिल की है।इंकाई राजनीति में अशोक बिसेन प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के खास समर्थक माने जाते हैं। जिला कांग्रेस कमेटी ने बाकायदा बिसेन को अपना अधिकृत समर्थित प्रत्याशी भी घोषित किया था लेकिन ना जाने क्यों उनके क्षेत्र में हरवंश सिंह नहीं गये जबकि अपने केवलारी विस क्षेत्र के कान्हीवाड़ा क्षेत्र में इंका के सुधीर जैन के लिये प्रचार को वे गये थे। गोमती का चौथी बार चुनाव जीतना निश्चित ही उनकी लोकप्रियता का प्रमाण हैं। ऐसा ही एक रोचक परिणाम कान्हीवाड़ा क्षेत्र का भी रहा हैं जहां से इंका समर्थित सुधीर जैन और भाजपा समर्थित डॉ. श्रीराम ठाकुर को हरा कर अनिल चौरसिया ने जीत हासिल की हैं। पंचायती राज चुनाव में अनिल के नाम भी एक रिकार्ड है कि वे भी पहले दो चुनाव में जिला पंचायत सदस्य और पिछले चुनाव में महिला आरक्षण के जनपद सदस्य का चुनाव लड़कर जीते थे और इस बार वे पुन: जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं। फक्कड़ स्वभाव और पूरे समय सेवा भाव से जुटे रहने के कारण अनिल भी यहां अजेय हो गये हैं। वैसे तो अनिल कांग्रेसी हैं लेकिन क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह से विरोध के चलते वे भी दरकिनार कर दिये गये हैं। एक विधानसभा चुनाव भी वे लड़ चुके हैं और उसके बाद के चुनाव के पहले वे फिर इंकाइयों के बगलगीर तो गये हैं लेकिन हरवंश समर्थकों की नज़र में वे आज भी बागी ही हैं। वे एक मात्र ऐसे बागी हैं जिन्हें इस जिले में पुरुस्कृत नहीं किया गया क्योंकि इनकी बगावत हरवंश सिंह के खिलाफ थी वरना इस जिले में तो बागियों को पुरुस्कृत करनें की परंपरा कांग्रेस में रही हैं।केवनारी विस क्षेत्र के तीन जिला पंचायत क्षेत्र ऐसे हैं जो पूरे केवलारी विस में ही आते हैं जबकि दो क्षेत्र आंशिक रूप से आते हैं। तीनों क्षेत्रों में यहद अनिल को कांग्रेसी ना माना जाये तो केवलारी से कांग्रेस का फट्टा ही साफ हो गया हैं।

Wednesday, February 3, 2010

माया मुरारी की धमाकेदार जीत से नेता रह गये भौंचक-
जिला पंचायत चुनावों में घंसौर विकास खंड़ के एक क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में माया मुरारी शिवहरे की प्रचंड़ जीत ने इस जिले की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया हैं। पिछले पन्द्रह सालो से जिले में पैसे और दादागिरी का ऐसा बोलबाला हो गया है कि यह अब आम आदमी की पहुंच से बाहर सी हो गई हैं। लेकिन नंगे पैर और सादगी के साथ लड़े गये इस चुनाव में माया मुरारी शिवहरे ने जिला पंचायत का चुनाव 25 हजार से भी अधिक वोटों से जीत कर एक ऐसा रिकार्ड बना लिया हैं कि जिसे शायद ही कोई भविष्य में तोड़ पाये। वरना अभी तक तो ऐसा हुआ हैं कि जिले स्थापित बड़े बड़े नेता भी करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी विस चुनाव बमुश्किल दो चार हजार वोटों से ही जीत पाते हैं। पिछले लगभग बीस पच्चीस सालों से राजनीति में सेवा भाव से सक्रिय शिवहरे सेवा भाव से लगे ही रहे। चुनावी हार ने भी उनका मनोबल नहीं तोड़ा और वे अपने मार्ग से हटें नहीं। आखिर उनकी सेवा भावना का जनता ने सम्मान किया और जिला पंचायत के चुनाव में इतने भारी वोटों के अन्तर से उन्हें जिताया कि वह जिले में एक नजीर बन गई। कभी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहे शिवहरे पिछले कई सालों से पर्दे के पीछे चले गये थे और अपने आप को चकमक की इंकाई राजनीति में अनफिट मानने लगे थें। लेकिन इस भारी जनादेश ने उन्हें एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया हैं।
जहां कांग्रेस जीतती हैं वहां कांग्रेसी हारे और जहां कांग्रेस हारती हैं वहां कांग्रेसी जीते
जिला पंचायत चुनावों के परिणाम राजनैतिक दृष्टि से चौंकाने वाले इस लिहाज से साबित हुये हैं कि जहां से कांग्रेस जीतते रही हैं वहां से कांग्रेसी हार गये और जहां से कांग्रेस हारती रही वहां से कांग्रेसी जीत गये हैं।इसके विपरीत ऐसा ही कुछ भाजपा के लिये भी कहा जा सकता हैं। इन चुनाव परिणामों से राजनैतिक विश्लेषक परेशान हैं कि आखिर ऐसा होने का कारण क्या हैंर्षोर्षो प्रदेश इंका के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह सन 1993 से लगातार केवलारी विस क्षेत्र से कांग्रेस को जिताते आ रहें हैं और विधायक बन सत्तासुख भोग रहें हैं। लेकिन जिला पंचायत चुनाव में केवलारी क्षेत्र के तीनों जनपद क्षेत्रों से कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार चुनाव हार गये हैं। इनमें केवलारी जनपद पंचायत की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती फरीदा साबिर अंसारी,पूर्व सरपंच मोहन सिंह धुर्वे एवं ब्लाक कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष सुधीर जैन चुनाव लड़े थे। हालांकि जिला इंका जिले के सभी क्षेत्रों में अपने अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं कर पायी थी लेकिन केवलारी क्षेत्र के सभी क्षेत्रों में अधिकृत प्रत्याशी घोषित थे जिससे प्रचार प्रसार में किसी भी नेता को जाने में कोई भी बन्दिश नहीं थी और भाजपा के तमाम नेता गये भी थे। फिर भी कांग्रेस के इस गढ़ से कांग्रेसियों का हार जाना तरह तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा हैं। इसके विपरीत कांग्रेस जिले की सिवनी और बरघाट विधानसभा सीट से कांग्रेस 1993 से चुनाव हार रही हैं। लेकिन जिला पंचायत चुनावों में इन क्षेत्रों के नौ वाडोZं में से छ: वाडोZं में कांग्रेसी और शेष निर्दलीय जीते हैं और भाजपा का एक भी उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं करा पाया हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि भाजपा के जिला संगठन मन्त्री सन्तोष त्यागी के नेतृत्व में जिलाधयक्ष सहित सभी विधायकों ने चुनाव प्रचार में सक्रिय भागीदारी की थी। फिर भी भाजपा के इन गढ़ों में जहां कांग्रेस हारती चली आ रही हैं वहां पंचायत चुनावों में कांग्रेसियो जीत सियासी हल्कों में चर्चित हैं। यहां यह भी विशेष तौर पर उल्लेखनीय हैं कि जिला इंका ने इन सात क्षेत्रों में से तीन क्षेत्रों में अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की थी। जिनमें से तीनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस नेताओं मोहन चन्देल,रामगोपाल जैसवाल और बशीर खॉन ने जीतम दर्ज की हैं जबकि उनके विरुद्ध कांग्रेसी नेता भी चुनाव मैदान में थे। राजनैतिक विश्लेषक इन परिणामों से आश्चर्यचकित हैं कि आखिर ऐसे कौन से कि जिन क्षेत्रों से कांग्रेस चुनाव हारती हैं उन्हीं क्षेत्रों से कांग्रेसी जीत रहें हें और जिस क्षेत्र से कांग्रेस जीतती हें उस क्षेत्र से कांग्रेसी हार रहें हैंर्षोर्षो कांग्रेसियों में ऐसी चर्चा हें कि यह एक ओपन सीक्रेट हैंजिसे लगभग सभी कांग्रेसी जानते हैं।

Tuesday, February 2, 2010

फोर लेन केस : नाथ चाहते हैं चौड़ीकरण : राम चाहते है फ्लाई ओवाराशेरों की रक्षा भी करना है और पेसा भी खर्च नहीं करना है ऐसा कैसे होगा?
कोर्ट ने परिवहन और वन मन्त्रालय के अयिाकारियों को बैठक कर सुझाव का दिया निर्देश
सिवनी।फोर लेन का मामला सुप्रीम कोर्ट में रोचक मोड़ पर आ गया हैं। परिवहन मन्त्री कमलनाथ चाहते हैं कि वर्तमान रोड़ का चौड़ीकरण हो लेकिन वन मन्त्री जयराम रमेश पर्यवरण और शेरों की रक्षा के लिये फ्लाई ओवर बनाने के पक्ष में हैं। माननीय न्यायालय ने कहा है कि शेरों और पर्यवरण की रक्षा पैसे नहीं खर्च करने की बात नहीं हो सकती। अत: देानो मन्त्रालय के अधिकारी बैठक कर मतभेदों को दूर कर कोर्ट में कंपोजिट प्लान प्रस्तुत करें। उत्तर इक्षिण गलियारे का निर्माण पेंच टाइगर रिर्जव के इलाके में विवाद के कारण रुका पड़ा हैं। फोर लेन जाने की आशंका से शहर के जागरूक नागरिकों ने जनमंच का गठन कर ऐतिहासकि बन्द का आयोजन किया था और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में हस्तक्षेपकत्ताZ के रूप में शामिल हुआ था। सुप्रीम कोर्ट मे पिछली सुनवायी में सड़क परिवहन और वन मन्त्रालय के बीच मतभेदों के चलते कांर्ट के एमायकस क्यूरी हरीश साल्वे ने अपने सुझाव वापस लेने की भावनात्मक पेशकश कर दी थी। उन्होंने यह पेशकश सुप्रीम कोर्ट की फंारेस्ट बैंच के समक्ष रखा जिसमें सी.जे. के.जी.बालाकृषणन,एस.एच.कपाड़िया और आफन्ताब आलम शामिल हैं। कोर्ट द्वारा बनायी गई सी.ई.सी. ने पेंच टाइगर रिर्जव के क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाई ओवर बनाने का सुझाव दिया था जिसमें 900 करोड़ रुपये लागत आने की संभावना हैं। लेकिन एन.एच.ए.आई. अधिक लागत लगने के कारण वर्तमान रोड़ के ही चौड़ीकरण करने के लिये सहमत हैं। उनके वकील श्री तन्खा ने कहा कि सभी पक्ष जिनमें मध्यप्रदेश सरकार,एन.एच.ए.आई.और परिवहन मन्त्रालय श्री साल्वे के वर्तमान सड़क के चौड़कीरण के सुझाव से सहमत हैं। कोर्ट में वन एवं पर्यवरण मन्त्री जयराम रमेश के वकील श्री हरीश बैरन ने कहा कि वन मन्त्री को सड़क परिवहन विभाग के चौड़ीकरण के सुझाव पर गम्भीर आपत्ति हैं। ऐसा करने से झाड़ों की कटाई और शेरों की सुरक्षा पर विपरीत असर पड़ सकता हैं। उन्होंने कहा कि वन मन्त्री सी.ई.सी. के फ्लाई ओवर के सुझाव पर सहमत हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि एन.एच.ए.आई.ने वन विभाग से अनुमति लेने के लिये तथा सुप्रीम कोर्ट में जो अपना लिखित जवाब पेश किया हें उसमें पहला ऑप्शन फ्लाई ओवर बनाने का ही दिया था। लेकिन अब ना जाने क्यों इसके लिये कोर्ट में वे अपनी सहमति नहीं दे रहें हैं। माननीय न्यायालय ने सड़क परिवहन को कहा है कि सरकार दो रतफा रुख नही अपना सकती कि एक रतफ शेरों और पर्यावरण की रक्षा भी की जाये और पैसे भी खर्च ना किये जायें। कोर्ट ने सड़क परिवहन और वन एवं पर्यवरण मन्त्रालय के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे बैठक कर मतभेदों का निराकरण करें और सम्भव हो तो एक कंपोजिट प्लान अगली पेशी में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवायी 19 फरवरी 2010 को निर्धारित की गई हैं।

Monday, February 1, 2010

बिना ताम झाम के हुई माया मुरारी की धमाकेदार जीत से नेता रह गये भौंचक-
जिला पंचायत चुनावों में घंसौर विकास खंड़ के एक क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में माया मुरारी शिवहरे की प्रचंड़ जीत ने इस जिले की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया हैं। पिछले पन्द्रह सालो से जिले में पैसे और दादागिरी का ऐसा बोलबाला हो गया है कि यह अब आम आदमी की पहुंच से बाहर सी हो गई हैं। लेकिन नंगे पैर और सादगी के साथ लड़े गये इस चुनाव में माया मुरारी शिवहरे ने जिला पंचायत का चुनाव 25 हजार से भी अधिक वोटों से जीत कर एक ऐसा रिकार्ड बना लिया हैं कि जिसे शायद ही कोई भविष्य में तोड़ पाये। वरना अभी तक तो ऐसा हुआ हैं कि जिले स्थापित बड़े बड़े नेता भी करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी विस चुनाव बमुश्किल दो चार हजार वोटों से ही जीत पाते हैं। पिछले लगभग बीस पच्चीस सालों से राजनीति में सेवा भाव से सक्रिय शिवहरे सेवा भाव से लगे ही रहे। चुनावी हार ने भी उनका मनोबल नहीं तोड़ा और वे अपने मार्ग से हटें नहीं। आखिर उनकी सेवा भावना का जनता ने सम्मान किया और जिला पंचायत के चुनाव में इतने भारी वोटों के अन्तर से उन्हें जिताया कि वह जिले में एक नजीर बन गई। कभी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहे शिवहरे पिछले कई सालों से पर्दे के पीछे चले गये थे और अपने आप को चकमक की इंकाई राजनीति में अनफिट मानने लगे थें। लेकिन इस भारी जनादेश ने उन्हें एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया हैं।