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Tuesday, February 23, 2010

रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल तो जनता सालों से देख रही हैं लकिन बड़ी रेल लाइन का एक इंच भी काम नहीं हुआ हैं।

वृहद स्तर पर विधायक द्वारा आयोजित हल्दी कूकू चर्चित-भाजपा विधायक श्रीमती नीता पटेरिया द्वारा उनके आवास में आयोजित हल्दी कूकू कार्यक्रम सियासी हल्कों में काफी चर्चित रहा हैं। महाराष्ट्र की सीमा से लगे सिवनी जिले में हल्दी कूकू का कर्यक्रम तो काफी सालों से होता रहा हैें लेकिन किसी राजनैतिक शिख्सयत के द्वारा इतने वृहद स्तर पर पहली आयोजित हुये इस कार्यक्रम का स्वरूप धार्मिक कम रह कर राजनैतिक अधिक हो गया हैं। अखबारों की सुखीZ बने इस कार्यक्रम में लगभग तीन से चार हजार महिलाओं के शरीक होने के समाचार हैं। वैसे तो यहां रहने वाले महाराष्टिªयन परिवारों के द्वारा तो यह कार्यक्रम आयोजित हो रहें हैं लेकिन उत्तर भारतीय हिन्दू परिवारों में इसके स्थान पर सुहागलें आयोजित करने की परंपरा रही हैं। इसी कारण भाजपा की महिला विधायक के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उनके क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं की उपस्थिति नहीं के बराबर रही। लेकिन कुछ भी हो ऐसे आयोजन से महिलाओं को अपने विधायक से सतसंग का एक अवसर जरूर मिला जिसे उन्होंने सराहा भी हैे। हालांकि राजनीतिज्ञों द्वारा किसी भी आयोजन में राजनीति तलाशना एक आम बात हो गई हैं अब नगरपालिका और पंचायत चुनावों के बाद आयोजित इस कार्यक्रम में कौन सी राजनीति थीर्षोर्षो यह तो आयोजक ही बता सकतें हैं।रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल-बड़ी रेल लाइन का खेल सालों से चल रहा हैं। सिवनी के नेता अपनी हिकमत अमली से अपने आप को प्रयासरत दिखाने का स्वांग करते आ रहें हैं। कांग्रेस और भाजपा के नेता साल भर तो चुप रहते हैं लेकिन फरवरी के महीने में दिखाने के लिये राजनैतिक नौटंकी करने में लग जाते हैं ताकि यदि कुछ मिल जाये तो श्रेय लेने का मौका ना चूक जायें।इंका के इकलौते विधायक हरवंश सिंह कभी पेंच और रेल के लिये प्रतिनिधि मंड़ल ले जाते हैं तो कभी पत्र लिखकर रेल की मांग कर लेते हैं। इंका नेता आशुतोष वर्मा ने भी तीन साल तक लगातार पत्र लिखो अभियान चलाया और देश के तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी.व्ही.नरसिंहाराव द्वारा शंकराचार्य की उपस्थिति में घोषित गोटेगांव रामटेक नयी लाइन के लिये प्रयास किया लेकिन ऐसे समय में ही अन्य इंका नेताओं द्वारा छोटी लाइन को बड़ी रेल लाइन में बदलने की मांग उठाते रहे। इस साल ऐसा लगता हैं कि पिछले रेल बजट में घोषित छिन्दवाड़ा नैनपुर बड़ी रेल लाइन में बदलने की घोषणा में शायद इस साल कुछ आवंटन मिलने वाला हैं। बताया जाता हैं कि योजना आयोग की स्वीकृति के बाद जनवरी के महीने में केबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी हैं। फरवरी के महीने में विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह रेल मन्त्री और भूतल परिवहन मन्त्री कमलनाथ को पत्र लिखकर यह मांग कर डाली और अखबारों में इसे खूब छपवाया गया। ऐसा होने पर पांच साल तक सांसद रहने वाली वर्तमान भाजपा विधायक नीता पटेरिया भला कहां पीछे रहने वालीं थी। वे भी रेल पंचायत की भाजपायी टोली में शामिल हो गईं और उस रेल राज्यमन्त्री से मिल आयीं जो कुछ दिन पहले ही प्रधानमन्त्री से यह रोना रोकर आये थे कि उनकी केबिनेट मन्त्री ममता बेनर्जी उन्हें कुछ काम ही नहीं दे रहीं हैं। उन्होंने भी अपनी इस मुलाकात का खूब प्रचार प्रसार कराया। लेकिन इस बात का ना तो इेका और ना ही भाजपा नेताओं के पास कोई जवाब है कि जब पिछले साल रेल मन्त्री ने अपने बजट भाषण में इस लाइन को बड़ी रेल लाइन में बदलने की घोषणा की थी और पूरे साल एक भी पैसा नहीं मिला तब ये सारे नेता किस बात का इन्तजार कर रहें थेर्षोर्षो तब ना तो किसी ने पत्र लिखा और ना ही किसी ने किसी मन्त्री से मुलाकात ही की थी। जबकि रेल मन्त्री की घोषणा पर श्रेय लेने के लिये विज्ञापनों छपवाने की होड़ में ये सारे नेता शामिल थे। हमारे जिले में तो यह परंपरा बन गई हैं कि बिना प्रयास किये जो कुछ मिल जाये उसका श्रेय ले लो और जो ना मिले उस पर चुप्पी साध जाओ और हो सके तो दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ दो। तभी तो अभी तक ना तो रेल आयी और ना ही पेंच परियोजना ही आयी। लेकिन अब ना सिर्फ जनता इन नेताओं की नौटंकी को बखूबी समझने लगे हैं वनर गुपचुप मजाक भी उठाने लगें हैं। रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल तो जनता सालों से देख रहीं हैं लेकिन बड़ी रेल लाइन के लिये काम एक इंच भी नहीं हो पाया हैं।रेल के खेल में नेताओं की पेलमपेल-जिले की आठों जनपद पंचायतों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव संपन्न हो गये हैं। इनमें पांच जनपदों में कांग्रेस,दो में भाजपा और एक जनपद में भाजपा की बागी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की हैं। इन चुनावों में प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा की इतनी बुरी गत बनी कि कुछ जनपद पंचायतों में उसे एक अदद उम्मीदवार भी नहीं मिले। छपारा और घंसौर जनपद पंचायतों में कांग्रेस ने निZविरोध जीत दर्ज की हैं। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि बतौर सांसद नीता पटेरिया पांच साल तक छपारा में ही निवास करती थीं। यह भी बताया जाता हैं कि सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया की उपस्थिति में सेंटर पाइंट हॉटल में आयोजित एक भोज मे छपारा जनपद के भाजपा समर्थित सात सदस्य शामिल हुये थेर्षोर्षो फिर ऐसा क्या हो गया कि विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की गृह जनपद में भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिलार्षोर्षो लखनादौन और घंसौर जनपद पंचायत में इंका नेता डॉ. आनन्द तिवारी और आलोक वाजपेयी और उनके साथियों की रणनीति सफल रही और दोनो आदिवासी जनपद पंचायतों में कांग्रेस अपना परचम फहराने में कामयाब हो गईं हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने अपनी विधानसभा क्षेत्र की दोनों जपद पंचायतों बरघाट और कुरई में पहली बार भाजपा का परचम फहरारया हैं। इंका विधायक हरवंश सिंह के निर्वाचन क्षेत्र की गृह जनपद केवलारी में भी कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा हैं।यहां भाजप की कमान सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक टेकाम, जिला भाजपा के महामन्त्री प्रमोद राय और मंड़ल अध्यक्ष देवी सिंह बघेल सम्भाल रहे थे। प्रदेश भाजपा के पूरे जिले की जवाबदारी फग्गन सिंह कुलस्ते को दी थी। इस जनपद पंचायत में भाजपा दो वोटों से हार गई हैं। भाजपायी हल्कों में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार कुलस्ते ने जिन दो जनपद सदस्यों को देने के लिये कहा था उसमें से ही एक सदस्य कांग्रेस की उम्मीदवार बन गई और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वैसे यह कोई नयी बात नहीं हैं कि जब हरवंश और कुलस्ते पर एक दूसरे सें सांठगांठ के आरोप लगें हों।परिसीमन से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक में इन दोंनो नेताओं पर नूरा कुश्ती के आरोप चस्पा होते रहें हैं।

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