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Saturday, February 6, 2010

अजीब मिजाज हैं यहां के लोगों का
अजीब मिजाज हैं इस सिवनी जिले का।यदि कुछ हो जाये तो बहुत अच्छा और कुछ ना हो तो कोई बात नहीं। यदि कोईं कुछ कर रहा हैं तो उसमें मीन मेक निकालने वालों की भी कमी नहीं हैं लेकिन इसके बदले क्या करना चाहिये इससे कुछ लेना देना नहीं हैं।फिर अपनी तरफ से कोई पहल करने की तो बात ही नहीं उठती हैं। ऐस ही कुछ पिछले पांच छ: सालों से बड़ी रेल लाइन के मामले को लेकर देखने को मिल रहा हैं। यह इस जिले का काफी महत्वाकांक्षी मुद्दा हैं जिसे समय समय पर उठाया जाता रहा हैं। जनवरी 1996 में जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी सरस्वती की तपोस्थली झोतेश्वर में देश के प्रधानमन्त्री पी.व्ही.नरसिंहाराव ने तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री एवं क्षेत्रीय सांसद कु. विमला वर्मा की मांग पर गोटेगांव से सिवनी होते हुये रामटेक तम बड़ी रेल लाइन बनाने की घोषणा एक विशाल आम सभा में की थी। प्रधानमन्त्री घोषणा के बाद हुये चुनाव में कांग्रेस हार गई और राजग सरकार के कार्यकाल मेंं इसके डीटेल सर्वे कराने की दिशा में भी कोई पहल नहीं हो पायी थी। लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में इस योजना के पूरे होने की आशा जागृत हुयी।इसके लिये पत्र लिखो अभियान चालू किया गया। आम लोगों ो अपील की गई कि आपका एक दस पैसे का पोस्टकार्ड आपको दिला सकता हैं बड़ी रेल लाइन। लोगों ने इसमें भागीदारी की और इन जन भावनाओं से जगत गुरू शेकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने भी पत्र लिखकर सारकार को अवगत कराया। सरकार क्षरा प्रस्तुत किये गये बजट में इसके डीटेल सर्वे के लिये बजट प्रावधान भी किया गया। इस परियेजना को चालू करने के लिये सौ करोड़ रुपये की मांग के साथ पूरे साल पोस्टकार्ड अभियान तथा पत्र लिखो अभियान चलाने का संकल्प लिया गया। आखिरी सौ दिनो में प्रतिदिन सौ पोस्टकार्ड भेजने की योजना बनायी गई। इस दौरान सभी सांसद और विधायकों के अलावा 237 स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधि,सौ से अधिक राजनैतिक दलों,सामाजिक,व्यापारिक,जातीय,खेल,शासकीय कर्मचारी एवं पत्रकार संगठनों ने अपनी भागीदारी निभाया और लगभग 25 हजार लोगों ने पोस्टकार्ड लिखकर जन दवाब बनाया। बजट प्रावधान ना होने पर अगले वर्ष समर्थन पत्रों को स्मरण पत्रों के रूप में भेजा गया। इस अभियान का मजाक भी उड़ाया गया । कहा गया कि भला पोस्टकार्ड लिखने से कोई बड़ी रेल लाइन आती हैं। इस अभियान के चलते कुछ राजनैतिक दलो के नेताओं ने प्रतिनिधिमंड़ल भी ले गये और इस रेल लाइन के साथ छिन्दवाड़ा से नैनपुर छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने की मांग भी जोड़ दी। नागपुर छिन्दवाड़ा सिवनी नैनपुर जबलपुर छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने काम दो छोर से जबलपुर से नैनपुर और नागपुर से छिन्दवाड़ा शुरू हो ही चुका था तथा केन्द्र सरकार के निर्णय के अनुसार इस अमान परिवर्तन को तो होना ही हैं। लेकिन इस मांग को जोड़ने से प्राथमिकता का सवाल उठ गया और डीटेल सर्वे के बजट प्रवाधान के बाद से मामला गोल हो गया। पिछले दो सालों से इस दिशा में कुछ भी हनीं हो रहा हैं तो किसी को भी कोई लेना देना नहीं हैं। पिछले रेल बजट में ममता बेनर्जी ने देश की शेष बची सभी छोटी लाइनों को बड़ी लाइन में बदलने की घोषणा की थी जिसमें सिवनी भी शामिल था तो नेताओं के श्रेय लेने की होड़ मच गई। लेकिन पूरे साल भी में ना तो एक पैसा इस लाइन को मिला और ना ही एक तसला गिट्टी इस लाइन को बदलने के लिये डली। लेकिन श्रेय लेने को आतुर नेता ना जाने कहां गुम होकर रह गयें हैं। पोस्टकार्ड अभियान का मजाक उड़ाने वाले तथा इस परियोजना के साथ छोटी लाइन को बदलने की मांग जोड़ने वाले नेता भी इन दो सालों से क्यों चुप बैठे हैं र्षोर्षो यह समझ से परे हैं। कोई कुछ करे तो मीन मेक निकालना और जब कुछ ना हो तो खुद भी कुछ ना करना ना जाने ऐसा मिजाज इस जिले के में क्यों हो गया हैं।अब आज वक्त का तकाजा यह है कि जिले के विकास के लिये इस महत्वांकांक्षी परियोजना को पूरा कराने के लिये सामूहिक पहल की जाये अन्यथा आज जिले का नेतृत्व करने वाले लोगोंं को आने वाली पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी।

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