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Saturday, March 20, 2010


अब हर हफ्ते क्यों नहीं आ रहें हैं के.डी.-
जिले में माला पहनने ही आते हैं के.डी.। याने आधे जिले के सांसद। आजकल ये खबर अखबारों की सुखीZ बनी हुयी हैं।लोक सभा चुनाव के दौरान अपने भाषण में वे कहा करते थे कि सप्ताह में तीन दिन वे सिवनी में रहा करेंगें। लेकिन जीतने के बाद नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ही निकला। हर सप्ताह ना उन्हें आना था और ना ही वे आये। इस बीच दो बार बजट और रेल बजट पेश हो चुका,फोर लेन का मामला उलझा रह, बड़ी रेल का मामला अटका रहा लेकिन सांसद के रूप में के.डी.देशमुख की कहीं भी कोई प्रभावी भूमिका नहीं दिखी। केन्द्र में कांग्रेस और प्रदेश में भाजपा की सरकार रहने के कारण यहां के जनप्रतिनिधि कुछ करने के बजाय एक दूसरे के पाले में गेन्द डालकर अपने कत्तZव्यों की इतिश्री कर लेते हैं।यदि घोखे से कुछ मिल गया तो श्रेय लेने की ऐसी होड़ मचती है कि बस देखते ही बनती हैं। अभी भी वक्त है कि सांसद नये बने इस संसदीय क्षेत्र में इस जिले की विधानसभाओं पर भी ध्यान दें जहां से उन्हें भारी बढ़त मिली थी। ऐसा ही हाल इंका प्रत्याशी रहे विश्वेश्वर भगत का भी हैं जिन्होंने चुनाव के बाद एक बार भी पलट कर सिवनी की ओर देखा तक नहीं हैं। इन सब कारणों से लोक सभा क्षेत्र समाप्त होने का दुख लोगों का और बढ़ जाता हैं।
-विधानसभा के चालू सत्र में जिले से सम्बंधित प्रश्न अन्य विधायकों द्वारा उठाया जाना यहां के विधायकों के लिये क्या शर्म का विषय नहीं हैं
नप के भ्रष्टाचार से सम्बंधित मामला इंका विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी ने उठाया तो आदिवासियों के जंगल से सम्बंधित मामला भाजपा विधायक प्रेम नारायण ठाकुर ने उठाया हैं। इस सत्र में सदन रेल्वे से सम्बंधित कई अशासकीय विधेयक भी विधायकों ने पेश किये जिनमें नई रेल लाइनों के भी प्रस्ताव थे। लेकिन जिले के किसी भी विधायक ने श्रीधाम (गोटेगांव) से रामटेक नई रेल लाइन के लिये कोई अशासकीय संकल्प पेश करने की जेहमत नहीं उठायी जो कि जिले के विकास के लिये एक अति महत्वांकांक्षी परियोजना हैं। इस परियोजना की घोषणा तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमन्त्री स्व. पी.व्ही.नरसिंहाराव ने 6 जनवरी 1996 को झोतेश्वर में जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानन्द जी सरस्वती महाराज की उपस्थिति में एक आम सभा में की थी। इसके लिये सालों कई आन्दोलन भी हुये। लेकिन इन जन आन्दोलनों को भी विधायकों ने नज़र अन्दाज कर दिया। जिले के तीन भाजपा विधायकों नीता पटेरिया,शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले ने अन्य विधायकों की तरह अशासकीय संकल्प सदन में पेश करना क्यों नहीं जरूरी समझार्षोर्षो यह समझ से परे हैं।

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