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Sunday, March 21, 2010


भाजपा पदाधिकारी कार्यकत्ताZओं की राय के बजाय नेताओं की जेब से आयेंगें-
हमने अपने पिछले अंक में ही यह आशंका व्यक्त की थी कि भाजपा में इस बार चुनाव के बजाय मनोनयन की आहटें सुनायी दे रहीं हैं। जिले में मंड़ल के चुनाव होना था। सभी मंड़लों के चुनाव अधिकारी अपने अपने मंड़लों में पहुच कर चुनाव करा चुके हैं और बताया जाता हैं कि सभी परिणाम संगठन मन्त्री सन्तोष त्यागी के पास दे दिये गये हैं। भाजपायी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी किसी भी मंड़ल के चुनाव परिणाम की अधिकृत घोषणा नहीं की जा सकी हैं। राजरोग से ग्रस्त भाजपा में भी इस बार भारी गुटबन्दी हैं। जिलें में भाजपा भी कई गुटों में विभाजित हैं और एक दूसरे को कोई भी फूंटीं आंख नहीं सुहा रहा हैं। सिद्धान्तिक रूप से संगठन मन्त्री ने यह भी तय कर दिया हैं कि किसी भी वर्तमान मंड़ल अध्यक्ष को दोबारा रिपीट नहीं किया जायेगा। इसलिये वर्तमान मंड़ल अध्यक्षों में भी चुनाव में प्रति रुचि नहीं के बराबर हैं। इस बार यह भी तय कर लिया गया है कि यदि मंड़ल के चुनाव में एकमतेन निर्णय नहीं होता तो विवाद जिले में चन्द नेताओं के साथ बैठकर संगठन मन्त्री निपटायेेंंगें। इसी तरह यदि जिले में एकमतेन फेसला नहीं होता तो मामला प्रदेश में चला जायेगा। इसलिये इस बार भाजपा में कार्यकत्ताZओं के बीच यह चर्चा आम हो गई हैं कि संगठन के अधिकांश पदाधिकारी कार्यकत्ताZओं की राय के बजाय नेताओं की जेब से आयेंगें।कई भाजपा नेता तो यह कहने में भी कोई संकोच नहीं कर रहें कि इस बार भाजपा के चुनाव कांग्रेस की उसी तर्ज पर होने वाले हें जिसकी भाजपा हमेशा आलोचना किया करती थी। अपने मतभेदों को सड़क पर आने से बचने के लिये भाजपा ने जो ये रणनीति बनायी हैं वो दीघZकाल में उसके लिये लाभदायक होगी या नहीं र्षोर्षो यह तो वक्त ही बतायेगा।

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