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Sunday, March 14, 2010

political dairy of seoni dist of m.p.

कांग्रेसी, कांग्रेसियों के साथ राजनैतिक चाले चलना बन्द कर सारी चाले यदि भाजपाइयों के साथ चलें तो ही जिले में कांग्रेस का उद्धार होगा
21 तारीख की रात 1 बजे आया फोन किसका था
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जिला पंचायत चुनाव का एक राज आज भी कांग्रेसी तलाश रहें हैं कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि प्रदेश इंका के उपध्यक्ष हरवंश सिंह ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिये मोहन चन्देल तथा अनिल चौरसिया के नाम पर अपनी सहमति दे डालीर्षोर्षो वैसे भी भाजपा ने जिले के इन चुनावों का प्रभार पूर्व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को दिया था तभी से सियासी हल्कों में यह चर्चा जोरों से थी कि परिसीमन सें प्रारंभ हुई नूरा कुश्ती इस चुनाव में भी जारी रहेगी। परिणाम इन आशंकाओं की पुष्टि भी करते हैं। मंड़ला और डिण्डोरी जिला पंचायत में भाजपा और सिवनी में कांग्रेस का कब्जा हुआ। जिले की आठ जनपदों में से कुरई और बरघाट में आजादी के बाद पहली बार भाजपा ने अपना कब्जा जमाया हैं तो केवलारी में भाजपायी रणनीतिकार जीतने की उम्मीद के बाद भी हार गये और हरवंश सिंह के विस मुख्यालय की जनपद पर उनका वर्चस्व कायम रहा। वैसे तो इस चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। 19 में से सिर्फ चार सदस्य चुनाव जीते थे। 14 सदस्य जीतने का दावा कांग्रेस कर रही थी। कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर भारी मारामरी थी। अध्यक्ष पद के जितने भी दावेदार वे गोपनीय तरीके से भाजपा के प्रभारी कुलस्ते से संपर्क में थे। हर कांग्रेसी ने गोपनीयता बनाये रखने की पूरी पूरी कोशिश की थी। मिलने जाने वाले भले ही पर्दानशीं थे लेकिन जिनसे मिलना था जब वे ही बेपर्दा हों तो भला कोई चीज छिप कैसे सकती हैं। ऐसा ही कुछ होने का दावा राजनीति के जानकार कर रहें हैं। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का दावा हैं कि चुनाव के दिन की एक रात पहले लगभग 1 बजे इंकाई शहंशाह अपने राजमहल के तख्ते ताऊस पर जब विराजमान थे कि तभी मोबाइल की घंटी घनघनायी और वे उठकर कुछ दूर चले गये। दूसरी तरफ से कौन क्या कह रहा है यह तो कोई नहीं जानता था लेकिन वहीं खड़े कुछ इंकाइयों ने बड़े चौंकने वाले अन्दाज में आका को यह रिपीट करते सुना कि क्या मोहन और अनिल भीर्षोर्षो बस इसके बाद ही खतरे की घंटी बजने लगी और सोच भी बदलने लगी। सुबह होते होते सारे पांसे पलट चुके थे। अध्यक्ष पद के लिये मोहन चन्देल और उपाध्यक्ष पद के लिये अनिल चौरसिया के नामों पर मोहर लग गई। रामगोपाल जैसवाल बागी हाकर चुनाव में कूद गये और कांग्रेस 8 के मुकाबले 11 से चुनाव जीत गई। यदि बागी रामगोपाल सिर्फ दो वोट और ले लेते तो बाजी ही पलट जाती। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि शायद इसी कारण पहली बार हरवंश सिंह ने योग्यता का पैमाना बदला हैं। जनता ने कांग्रेस को 14 क्षेत्र में जीत दिलायी और कांग्रेस को अध्यक्ष चुनाव में सिर्फ 11 वोट ही मिल पाये फिर भी आशीZवाद परंपरानुसार हरवंश सिंह का ही चल रहा हैं।
बीमार अस्पताल के आयोजन में अतिथि बनने हुई मारामारी-
बीमार अस्पताल में आयोजित होने वाले स्वास्थ्य मेले में अतिथि बनने के लिये जिस तरह जन प्रतिनिधियों में मारा मारी चली उतनी यदि अस्पताल को स्वस्थ बनाने में होती तो जनता का भी कुछ भला होता। सी.एम.ओ. द्वारा जो पहले कार्ड बटवाये गये थे उनमें मुख्यअतिथि नीता पटेरिया और अध्यक्षता नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी की थी। विधायक कमल मर्सकोले और शशि ठाकुर विशिष्ठ अतिथि थी। सांसद द्वय के.डी.देशमुख और बसोरी सिंह,विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह और जिपं अध्यक्ष मोहन चन्देल का नामोनिशान तक नहीं था।दर किनार किये गये चार प्रतिनिधियों में सम तीन कांग्रेस के थे। इसका जब भारी विरोध हुआ तो कलेक्टर के हस्तक्षेप से छोड़ दिये गये जनप्रतिनिधियों को शामिल कर नये सिरे कार्ड छपवाये गये और कार्यक्रम संपन्न हुआ। अपने हक के लिये जनप्रतिनिधियों का लड़ना उचित हैं लेकिन जिस अस्पताल में यह शिविर लगाया गया वह खुद ही सालों से अस्वस्थ्य हैं। आधे से अधिक डॉक्टरों के पद रिक्त हैं,रोगी कल्याण समिति द्वारा बनाया गया राजीव गांधी गहन चिकित्सा कक्ष्र शोभा की सुपारी बन कर रह गया हैं इसकी कुछ महंगी मशीनें तो ऐसी हैं जिनका आज तक एक बार भी उपयोग नहीं हो पाया हैं,सांसद पटेरिया की निधि से बना बर्न यूनिट ईंट गारे का भवन भर बन कर रह गया हैं।ये हालात आज के नहीं हैं कांग्रेस सरकार में भी ऐसे ही थे और भाजपा की सरकार में भी ऐसे ही हैं। अब भी समय रहते दलगत भावना से दूर होकर इस अत्यन्त महत्वपूर्ण मुद्दे पर जिले के सभी जनप्रतिनिधि सरकार पर सामूहिक दवाब बनायें तो उस आम आदमी को राहत मिलेगी जिसके वोटों ने उन्हें राजसिंहासन पर बिठाया हैं।
संशोधन के साथ पप्पू की नसीहत पर अमल करें कांग्रेसी -
समय से तीन घंटे पहले आये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी का कार्यक्रम इस बार बहुत कुछ सन्देश दे गया। उन्हें रिसीव करने से लेकर बिदा करने तक हर मुकाम पर जिले के इंकाइयों को कुछ नया दिखा। पचौरी प्रसन्न मालू, राजकुमार पप्पू खुराना और पूर्व केन्द्रीय मन्त्री विमला वर्मा के घर गये लेकिन गोरखपुर जाते वक्त रास्ते में पड़ने वाले हरवंश सिंह के घर नहीं गये। लेकिन यह भी शोध का विषय है कि हरवंश ने पचौरी को आने के लिये आमन्त्रित करने में या पचौरी ने उनके घर जाने में परहेज किया। स्वागत के लिये प्रकाशित विज्ञापन,पत्रकार वार्ता ,सम्मेलन के लिये बने पंड़ाल की सजावट,उसमें लगे स्थानीय इंका नेताओं के फोटो युक्त बैनर, भाषण देने वालों की सूची,संचालन और पूरा माहौल ही बदला बदला सा लगा। ऐक भी वक्ता ऐसा नहीं था जिसने इशारों इशारों में कांग्रेस की दुर्गति के लिये हरवंश सिंह पर फब्ती ना कसी हो। भाषणों की श्रृंखला जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू से शुरू होकर राजिक अकील,ओ.पी.तिवारी,श्याम अग्रवाल,पप्पू खुराना,प्रसन्न मालू से होते हुये हरवंश सिंह और सुरेश पचौरी तक पहुंची। आभार प्रदर्शन संजय भारद्वाज और संचालन जकी अनवर ने किया। पप्पू खुराना का भाषण अखबारों की सुखीZ बना। उन्होंने कांग्रेसियों को यह नसीहत दे डाली थी कि अब बहुत हो चुका कांग्रेसी राजनैतिक चालें चलना बन्द कर दें। पप्पू की इस नसीहत को सभी कांग्रेसी इस संशोधन के साथ अमल में लाने लगे कि कांग्रेसी, कांग्रेसियों के साथ राजनैतिक चाले चलना बन्द कर दें और सारी राजनैतिक चाले यदि भाजपाइयों के साथ चलें तो ही जिले में कांग्रेस का उद्धार होगा। वरना नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ही निकलेगा क्योंकि राजनैतिक चाले चलने वाले चेहरे बदलते रहेंगें और आपस में लड़ लड़ कर कांग्रेसी भाजपाइयों को हमेशा की तरह लाभ मिलते जायेगा।अब देखना यह है कि प्रदेश इंकाध्यक्ष के इस दौरे से जिले के कांग्रेसी क्या सीख लेते हें और कितना पार्टी का भला करने के लिये प्रयास करते हैंर्षोर्षो

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